सिंकंदर और रोहित मित्र हैं।
दोनों ने एक साथ अपना-अपना काम शुरू किया। दोनों मित्रों का व्यापार खूब चला किछ समय बाद रोहित ने सोचा कि अब मेरा व्यापार चल पड़ा है।
मैं तरक्की करता चला जाऊंगा, इसलिए अब मुझे इस लाइन में कुछ नया सिखने की जरूरत नहीं है।
व्यापार में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। रोहित के व्यापार में भी ऐसी स्थिति आयी और उसे नुक्सान झेलना पड़ा।
सिंकंदर के व्यापार में भी उतार-चढ़ाव आये पर उसे उतना नुक्सान नहीं हुआ जितना रोहित को हुआ।
रोहित सोचने लगा कि सिकंदर ने अपने नुकसान को नियंत्रित कैसे किया ?
रोहित ने इस बारे में उससे पूछने का मन बनाया।
जब उसने सिकंदर से इस बारे में पूछा तब सिकंदर ने कहा कि मैं अभी सिख रहा हूँ।
रोहित ने कहा - मैं समझा नहीं। सिकंदर ने सपनी बात समझाते हुए कहा - मैं अपनी ही नहीं दूसरों की गलतियों और कामयाबी से भी सीखता हूँ।
इससे मेरे जीवन में एक जैसी परेशानी बार-बार नहीं आती। अगर आती भी है तो आसानी से हल हो जाती है।
सिकंदर की बात सुनकर रोहित को अपनी गलती का अहसास हुआ।
उसे एहसास हुआ कि शुरूआती सफलता के बाद उसने सीखना एकदम छोड़ दिया था। यही वजह है कि अपने व्यापार में होने वाले नुकसान का आकलन वह नहीं कर पाया।
जीवन में सफल होने के लिए सीखते रहना जरूरी है ।
इंसान को हमेशा सीखते रहना चाहिए इससे उसके भीतर नकारात्मक विचार नहीं आते हैं, बल्कि उसमें सकारात्मक बदलाव आता रहता है
और सफलता की सीढियाँ चढ़ता रहता है। सीखते रहने वाले व्यक्ति को सफलता के अवसर भी ज्यादा मिलते हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि इस तरह के व्यक्ति में अहंकार नहीं होता। जिसके मन में अहंकार होगा वह कभी सिखने का प्रयास नहीं करेगा।