वासुराव तेनाली का घनिष्ठ मित्र था। वह छोटे से घर में रहता था।
वह चाहता था कि बिना पैसा खर्च किये उसका छोटा-सा घर किसी तरह बड़ा हो जाये।
कोई उपाय न मिलने पर वह एक दिन अपने मित्र तेनालीराम के पास गया और उसे अपनी परेशानी बतायी।
तेनालीराम ने कहा, तुम्हारी परेशानी का हल मेरे पास है, लेकिन तुम्हें बिल्कुल वैसा ही करना होगा, जैसा मैं कहूंगा। वासुराव ने हामी भर दी।
ऐसा करो वासु! तुम्हारे बाड़े में जो मुर्गियाँ, भेड़, घोड़ा, सुअर और गायें हैं, उन्हें अपने घर के अंदर ले आओ।
आज से वे सब बाड़े में नहीं घर में तुम्हारे साथ रहेंगे। तेनाली से वासु से कहा।
यह कैसा उपाय है ? तेनाली का दिमाग तो नहीं चल गया। वासु ने सोचा। परन्तु वह तेनाली को वचन दे चुका था, तो मरता क्या न करता।
तेनाली की बात मान कर वसु उन सभी जानवरों को अपने घर के भीतर ले आया। अब तो कमरे में हिलने की भी जगह नहीं बची थी। दो दिन बाद वह वापस तेनाली के पास गया और अपना दुखड़ा रोने लगा। मित्र, कहा फंसा दिया। अब तो उस घर में सांस भी नहीं ली जाती।
घबराओ मत। घर जाकर उन सभी जानवरों को वापस उनके बाड़े में पहुंचा दो। तेनाली ने शांतिपूर्वक जवाब दिया।
वासुराव तुरंत घर लौटा और उन सभी जानवरों को वापस उनके बाड़े में पहुंचा दिया।
लौटकर जब वह अपने घर में घुसा, तो कमाल ही हो गया था। जानवरों के बाहर निकलते ही उसका घर बड़ा और शांत लगने लगा था।
इस प्रकार बिना एक भी पैसा खर्च किये तेनाली ने उसकी समस्या का समाधान कर दिया था।