खोजा बना, खुदा का हरकारा

मुल्ला नसरुद्दीन कहानी - Mulla Nasruddin

खोजा बहुत गरीब आदमी था।

उसे अक्सर खाने के लाले पद जाते थे।

अपना पेट भरने के लिए खोजा अक्सर नए-नए तरीके ईजाद कर लिया करता था।

इन तरीकों में सबसे ज्यादा आजमाया हुआ तरीका था। खुदा के नाम पर कोई ऐसा काम करना, जिसे सुनकर लोग उसे अपने पास बुला लेते थे और अपनी भलाई के लिए खोजा को भरपेट भोजन करवा दिया करते थे।

खोजा जानता था कि जितना ज्यादा बेरहम है, जो जितना ज्यादा लोगों को लूटता-पीटता है, उसे खुदा का उतना ही ज्यादा खौफ रहता है चूँकि ऐसे लोग ये जानते

और मानते हैं कि इस मुल्क में भले ही उसे रोकने टोकने वाला कोई न हो, लेकिन ऊपर कोई एक खुदा है जो उसकी सारी हरकतें देख रहा है और वक्त आने पर उसकी जम कर खबर ले सकता है।

इसलिए ऐसे लोग खुदा को खुश करने की फ़िराक में रहते थे।

वे ऐसा मानते थे कि उनके काम तो ऐसे हैं ही नहीं कि खुदा उन्हें नजर आए या उन्हें कोई काम सौंपे, अलबत्ता खोजा जैसे कुछ नेक दिल लोग इस मुल्क में जरूर हैं,

जो खुदा को बेहद अजीज हैं और जिन्हें खुदा ने अपनी नेक नीयत के सबूत के तौर पर ही इस जहाँ में भेजा है।

उस दिन भी खोजा के घर में खाने के लाले पड़े हुए थे। मजदूरी कहीं मिली नहीं थी।

इसलिए वह घर से निकल कर बाजार में गया और हेंक लगाने लगा, मैं खुदा का हरकारा हूँ , मैं खुदा का हरकारा हूँ।

एक सिपाही ने उसकी हांक सुन ली और शहर के काजी के पास जाकर खोजा की शिकायत कर दी।

काजी ने खोजा को बुलाने के लिए फ़ौरन आदमी भेज दिया। जब खोजा को उसके सामने पेश किया गया तो उसने पूछा, अगर तुम खुदा के हरकारे हो तो यह बताओ कि खुदा ने मेरे लिए क्या पैगाम भेजा है ?

खोजा को समझते देर नहीं लगी कि उसका आजमाया हुआ तरीका आज भी कारगर होने को है।

उसने बहुत धीमी आवाज में बताया शुरू किया, खुदा ने आपके लिए बहुत अच्छा पैगाम भेजा है। पर मेरे पेट में सुबह से खाने एक निवाला तक नहीं गया, इसलिए कुछ बोलने तकलीफ हो रही है।

लिहाजा पहले मेरे लिए कुछ खाना मंगवा दीजिये। खाना खाकर मैं इत्मीनान से बता दूंगा।

काजी खुदा का पैगाम सुनने के लिए बेचैन था।

इसलिए उसने फ़ौरन अपने नौकरों को अच्छे-अच्छे पकवान ले आने का हुक्म दे दिया।

खोजा ने जी भी भरकर खाना खाया।

जब उसका पेट भर गया तो धीरे से बोला, खुदा ने अपने पैगाम में कहा है कि खोजा, काजी से कहना कि उसने आवाम की खून-पसीने की कमाई पूरी तरह हड़प ली है

और अब जनता के पास फूटी कौड़ी भी बाकी नहीं गई है।

यदि वह अपने आने वाले दिन सुधारना चाहता है, तो अपनी हरकतों से बाज आ जाए नहीं तो उसे नरक जगह मिलेगी।