एक शहर कोतवाल का जब राजधानी से दूर एक छोटे शहर में तबादला हुआ, तब वह बेहद खुश हुआ।
उसे लगा चलो अब रोज-रोज बादशाह या वजीर के पास जाने से मुक्ति मिली।
वहां तो हर आदमी किसी न किसी तुर्रम खां का रिश्तेदार था, इसलिए सबकी सुननी पड़ती थी। यहाँ तो चैन की नींद लिया करूंगा।
शरह कोतवाल ने यह सब सोच तो लिया, पर उसके मन की मुराद पूरी होने को ही नहीं आ रही थी।
जब से यहाँ आया था, रोजगार कोई न कोई ऐसा बखेड़ा लेकर हाजिर हो जाता कि उसे सुलझाने में जाने कब सुबह से शाम हो जाती थी।
आखिर शहर कोतवाल ने तय किया कि वह एक कुत्ता पालेगा कुत्ते को कोतवाली के दरवाजे पर बांधेगा ताकि जब भी कोई कोतवाली में फरियाद लेकर आने की कोशिश करे, कुत्ता उसे वहां से भगा दो।
कोतवाल ने कुत्ते की खोज शुरू की। उसे कुत्ते तो कई मिले लेकिन कोई ऐसा कुत्ता नहीं मिला जो केवल गुर्राता हो, भौंकता न हो।
कोतवाल को तलाश थी, केवल गुर्राने वाले कुत्ते की। उसे डर था कि यदि उसने भौंकने वाला कुत्ता दरवाजे पर बांधा तो वह भौंक-भौंक कर फरियाद को भले ही भगा दे, लेकिन इस दौरान उसकी अपनी नींद भी उदा देगा।
ऐसे में कुत्ते की भौंक सुनने से कहीं अच्छा होगा फरियादी की फरियाद सुन ली जाए।
हो सकता है फरियादी कुछ भेंट-दक्षिणा ही दे जाए।
जब शहर कोतवाल कुत्ता खोजने में नाकामयाब हो गया तब उसने खोजा को आदेश दिया कि वह एक खूंखार कुत्ता ढूंढकर लाए।
जो लोगों को काटता हो और उन पर झपटता हो। वक्त पड़ने पर गुर्राता भी हो लेकिन भौंकता न हो।
कुछ दिन बाद खोजा एक कुत्ता ले आया, जो दम दबा कर रहता और अजनबी के सामने भी भौंकता नहीं था।
यह देखकर कोतवाल उस पर बरस पड़ा, खोजा तुम्हारे कान नहीं हैं क्या ?
मैंने तुमसे कहा था कि मुझको काटने और गुर्राने वाला चाहिए न कि दुम दबाकर बैठने वाला कुत्ता।
तुम्हें किस किस्म का कुत्ता ढूंढने को कहा था, क्या तुमने सूना नहीं ?
खोजा ने सफाई दी, हाँ जनाब! मैंने अच्छी तरह से सुन लिया था। कुत्ता चाहे किसी किस्म का हो, आपके यहाँ आकर वैसा ही बन जाएगा आप जैसा चाहते हैं।
यह कुत्ता कुछ ही दिनों में आपसे सब तरह के हुनर सीख लेगा।
लोगों को काटने या उन पर झपटने का ही नहीं उनके पर्स खोलकर पैसे निकालने का तरीका भी यह जल्दी सीख लेगा
खोजा की बात में वजन है, यह महसूस करते ही शहर कोतवाल ने उस कुत्ता के गले में अपना पट्टा डाला और अगले ही दिन उसे अपनी जरूरत के गुर सीखने लगा।