एक ही सुगंध

शाम का समय था। राजा के साथ गोनू झा और मंत्री पुष्पवाटिका में टहल रहे थे। भाँति-भाँति के फूलों की सुंगध आ रही थी। जिस फूल के समीप जाते, उसी की सुगंध मोहित कर लेती।

राजा ने मंत्री से कहा, मंत्रीजी, क्या यह संभव नहीं कि फूल तो तरह-तरह के हों, पर सुगंध सिर्फ गुलाब की रहे?

मंत्री अवाक, किंतु थोड़ी देर बाद व्यंग्यात्मक लहजे में बोला, 'महाराज, यह तो गोनू झा ही कर सकते हैं।

गोनू झा ने इस बात को नजरअंदाज करते हुए कहा, 'महाराज, आपको सर्दी लग रही होगी; शॉल ला देता हूँ।

और शॉल राजा को दिया। अब राजा को सिर्फ गुलाब की सुगंध आने लगी, इसलिए हैरान होते हुए गोनू झा ने पूछा, 'यह तो कमाल हो गया !अब गुलाब की ही सुगंध आ रही है !यह चमत्कार कैसे हुआ ?'

गोनू झा ने सहज भाव से कहा, 'महराज, मैं तो सिर्फ गुलाब का इत्र शॉल में डाल कर लाया हूँ ।'