अक्सर हम सामने वाले से कर्तव्य या जिम्मेदारी की उम्मीदें करते हैं। क्या उसी जिम्मेदारी और कर्तव्य का पालन खुद करते हैं ?
मुझे इंग्लिश ऑनर्स की परीक्षा के लिए मधुबनी सेंटर मिला था। मैं परीक्षा देने के लिए अपनी चचेरी बहन गुड़ी के यहाँ रुकी थी।
मैं अपनी पढ़ाई कर रही थी, तभी मैंने सुना गुड़ी अपनी कामवाली बाई को सुना रही थी, देख सोफे पर कितनी धूल जमी है,
उधर टेबल के नीचे कितना कचरा पड़ा है, कांच पर कितने दाग लगे हैं, कैसी सफाई करती है। घर को अपना समझकर काम किया कर।
अगले दिन बाई नहीं आयी, तो गुड़ी बोली कि कल आएगी, तो सफाई कर लेगी।
दूसरे दिन मालूम पड़ा कि बाई आज भी नहीं, कल आएगी तो गुड़ी ने बस सामने-सामने से यूँ ही झाड़ू मार दी कि मैं क्यों करूं।
कल बाई आएगी तो सब अच्छे से करेंगी ही न। वह क्या करेगी नहीं तो आकर !
मैं सोच में पड़ गई कि घर किसका है, बहन का या बाई का ? सफाई की जिम्मेदारी ज्यादा किसकी है ? बहन अपने घर को किसका समझ रही है ?