जो लोग ईमानदार हैं उनके साथ ईमानदार रहिये और जो लोग ईमानदार नहीं हैं उनके साथ भी ईमानदार रहिये.इसी प्रकार ईमानदारी सिद्ध होती है
यूनान में हेलाक नाम का एक धनी और लोभी व्यक्ति रहता था।
अपनी दुकान पर आने वाले प्रत्येक मनुष्य को ठगना उसका नित्य का काम था।
इससे उसे काफी धन प्राप्त होता था, किंन्तु वह उसके पास टिक नहीं पाता था।
कभी बीमारी में व्यय हो जाता, तो कभी दुकानदारी में कोई बड़ा नुकसान हो जाता। यह देखकर उसकी पुत्रवधू उसे समझाती कि बेईमानी के पैसों से बरकत नहीं होती, किन्तु हेलाक उसकी बात अनसुनी कर देता।
एक दिन उसके सोने की एक पंसेरी बनवाई। फिर उस पर अपनी छाप लगाकर कपड़े में मढ़ा और एक चौराहा पर रख आया।
कुछ दिन एक व्यक्ति ने उसे उठाकर पास के तालाब में फेंक दिया। उस तालाब में उसे एक बड़ी मछली ने निगल लिया।
कुछ दिनों बाद मछुआरे ने उस तालाब में जाल डाला तो मछली उसमें फंस गई। मछुआरे ने जब मछली का पेट चीरा, तो वह पंसेरी बाहर निकल आई। मछुआरा ईमानदार व्यक्ति था।
उसने जब हेलाक के नाम की छाप पंसेरी पर देखी तो उसे हलाक को लौटाने चला गया।
महीनों बाद अपनी सोने की पंसेरी को वापिस पाकर हेलाक बहुत खुश हुआ।
अब उसे विश्वास हो गया कि ईमानदारी का धन कहीं नहीं जाता और बेईमानी से कमाया धन कभी नहीं फलता।
उसी दिन से उसने बेईमानी छोड़ दी।
वस्तुतः ईमानदारी से अर्जित धन मानसिक शांति देने के साथ ही स्थायी भी होता है।
ईमानदार और सच्चे दिल वाला व्यक्ति स्वयम को सदा हल्का व तनावमुक्त अनुभव करता है ।