एक राजा को सुयोग्य व ईमानदार मंत्री की आवश्यकता थी।
उसके दरबार में चाटुकारों की भरमार थी, जिनसे राजा बहुत परेशान था।
एक दिन उसने एक उपाय सोचा।
सभी दरबारियों को बुलाकर राजा ने कहा- मैं चाहता हूँ कि आप लोग मेरे लिए एक-एक पौधा लगाएं।
जिसका पौधा सबसे सुंदर वह रहा-भरा होगा, उसे मैं अपना मंत्री नियुक्त करूंगा।
आप लोगों को बीज व गमले मैं दूंगा।
आपको बस खाद पानी देकर पौधा तैयार करना है। आपके पास एक महीने का समय है।
चापलूस दरबारी यह सुनकर बहुत प्रसन्न हो गए, क्योंकि यह बहुत आसान कार्य था। सब अपने-अपने गमले में बीज डालकर नित्य खाद व पानी देने लगे।
जब एक महीना हुआ तो सभी अपने-अपने गमले लेकर दरबार में पहुंचे। सभी के गमले सुंदर पौधे से सजे हुए थे, किन्तु एक व्यक्ति का गमला खाली था, जिसे देखकर सभी हंस रहे थे।
जब राजा ने मंत्री पद के खाली गमले वाले व्यक्ति का नाम घोषित किया तो सब अवाक् रह गए।
तब राजा ने कहा - मैंने आप सभी को जो बीज दिए थे, वे उबले हुए थे। अतः वे उग ही नहीं सकते थे।
आप सब ने मुझे प्रसन्न कर मंत्री पद पाने के लोभ में बीज बदल दिए।
लेकिन इस व्यक्ति ने ऐसा नहीं किया और परिणामस्वरूप यह आज खाली गमला लेकर दरबार में आया है। यह व्यक्ति सच्चाई पर कायम रहा इसलिए यह व्यक्ति ही मंत्री पद के लायक है।
वह राज्य कभी उन्नति नहीं कर सकता जिसके दरबारी बस राजा को खुश करना चाहते हों और प्रजा की भलाई की ओर किसी का ध्यान न हो।
सार यह है कि लोभ व स्वार्थ के मार्ग से हटकर सच्चाई के मार्ग पर चले तो सफलता अवश्य आपके कदम चूमेगी।