एक आदमी तोते पकड़कर उन्हें पढ़ाने-सिखाने के बाद किसी बड़े आदमी को भेंट करके इनाम पाने का धंधा करता था।
एक दिन उसे एक बड़ा सुंदर तोता मिला।
उसने तोते को पढ़ाया और उसे इंसानी बोली सिखाई।
उस आदमी ने वह तोता बादशाह अकबर को भेंट करके बड़ा अच्छा इनाम पाया।
बादशाह ने तोते की देख-रेख के लिए एक आदमी रख लिया। उसे आज्ञा दी कि यदि तोता मर गया तो तुम्हें सूली पर चढ़ा दिया जाएगा।
जो तोता मरने की खबर देगा उसे भी यही दंड मिलेगा।
वह आदमी तोते की खूब सेवा करता था, रखवाली करता था। परन्तु ईश्वर की मर्जी ऐसी हुई कि अचानक वह तोता मर गया। तोते का रखवाला घबरा गया।
वह भगा हुआ बीरबल के पास पहुंचा और सारी बात बताते हुए कहा, अब मेरी जान नहीं बच सकती सरकार, मुझे आप ही बचा सकते हैं। मैं जाकर तोते की मौत की खबर बादशाह को दूँगा, तब भी प्राणदंड और बादशाह स्वयं पता लगाते हैं तब भी प्राणदंड। अब मैं क्या करूँ ?
तुम निश्चिंत रहो, कुछ नहीं होगा। मैं बात संभाला लूंगा।
बीरबल ने उसे सांत्वना दी।
बीरबल बादशाह के पास आकर बोले, हुजूर आपका तोता था.............. और उन्होंने वाक्य अधूरा छोड़ दिया।
क्या हुआ तोते को ?
मैं नहीं कह सकता, इतना कह सकता। इतना कह सकता हूँ कि आपका तोता आज न खाता है, न पीता है, न मुहँ खोलता है, न बात करता है, न चलता है न हिलता है, उठता भी नहीं हैं, फुदकता भी नहीं।
क्या हुआ उसे चलकर देखते हैं।
बादशाह ने आकर मरे हुए तोते को देखा और बोले, वहीं पर नहीं बता सकते थे कि तोता मर गया।
ऐसा कैसे बताता ? प्राणदंड मिलता। क्योंकि आपने कह रखा था की मरने की खबर देनेवाले को भी प्राणदंड मिलेगा। बीरबल बोले।
और इसलिए वह रखवाला गायब है, बादशाह हँसे। जबकि वह बेकसूर है हुजूर, तोता तो अपने मौत मरा है।
बादशाह ने रखवाले को माफ़ कर दिया। बीरबल की चतुराई से वह बच गया।