चमगादड़ का जन्म

अंडमान निकोबार की लोक कथाएँ

बहुत समय पहले की बात है ।

एक विदेशी जलपोत कहीं दूर से आया । लेकिन इससे पहले कि वह किनारे पर लग पाता - तूफान में फँँस गया। नाविकों ने उसे बचाने की भरपूर कोशिश की लेकिन वह एक चट्टान से टकरा गया और चकनाचूर हो गया ।

नाविकों और यात्रियों ने तैरकर किनारे पहुँचने की भरपूर कोशिश की लेकिन उनमें से अधिकांश डूब गए। बचे हुए लोगों में से कुछ किमिओस द्वीप पर जा पहुँचे । उन सभी के कपड़े फट चुके थे।

शरीर घायल थे। सभी की हालत दयनीय थी। काफी समय तक वे सागर-किनारे बेहोश पड़े रहे ।

होश आने पर वे भोजन और आवास की तलाश में भटकने लगे। उस समय तक तूफान थम चुका था और मौसम शान्त हो गया था ।

बिना कुछ खाए-पिए वे लोग जंगल में घुस पड़े। वहाँ उन्हें ऊँचे-ऊँचे नारियल के पेड़ नजर आए वे उन पर चढ़ गए उन्होंने 'फलों को तोड़कर पानी पिया और गूदा खाया ।

चारों ओर अंधेरा छा गया था। आसपास की चीजें दिखाई देनी बन्द हो गई थीं । किसी तरह उन्होंने पेड़ों की शाखाओं को पकड़ा और उन पर लटक गए ।

कपड़े फट चुके थे। शरीर घायल थे। सभी की हालत दयनीय थी। काफी समय तक वे सागर-किनारे बेहोश पड़े रहे।

होश आने पर वे भोजन और आवास की तलाश में भटकने लगे ।

उस समय तक तूफान थम चुका था और मौसम शान्त हो गया था ।

बिना कुछ खाए-पिए वे लोग जंगल में घुस पड़े। वहाँ उन्हें ऊँचे-ऊँचे नारियल के पेड़ नजर आए वे उन पर चढ़ गए उन्होंने फलों को तोड़कर पानी पिया और गूदा खाया ।

चारों ओर अंधेरा छा गया था। आसपास की चीजें दिखाई देनी बन्द हो गई थीं । किसी तरह उन्होंने पेड़ों की शाखाओं को पकड़ा और उन पर लटक गए ।

अण्डमानी आदिम जनजाति के लोगों का मानना है कि शाखाओं से लटके वे लोग रात भर में ही चमगादड़ बन गए । युवा लोग छोटे चमगादड़ और वृद्ध लोग बड़े चमगादड़ बने । इससे पहले उस द्वीप पर एक भी चमगादड़ नहीं था ।

यही चमगादड़ बाद में बाकी द्वीपों के जंगलों में भी फैल गए ।