काफी समय पहले की बात है ।
कार निकोबार के परसा नामक गाँव में तोतारांग नाम का एक युवक रहता था। असलियत में, परसा एक पहाड़ का नाम था। उसकी तलहटी में बसे गाँव को भी लोग उसी नाम से पुकारने लगे थे।
तोतारांग खूबसूरत और ताकतवर नौजवान था । अपनी कमर में वह हर समय लकड़ी की एक तलवार लटकाए घूमता था ।
इधर-उधर मटरगस्ती करते हुए उसने लपाती गाँव में रहने वाली वामीरो नाम की सुन्दरी की चर्चा सुनी। ऐसे घुँघराले बाल, ऐसी गहरी नीली आँखें, मोती जैसे ऐसे सफेद दाँत किसी और के हैं ही नहीं लोग कहते उसके अच्छे आचरण और व्यवहार के कारण सभी उसको चाहते हैं।
इन सब चर्चाओं ने तोतारांग के मन में वामीरों को देखने की इच्छा जगा दी। अन्तत: एक दिन घूमता-घामता वह लपाती गाँव में वामीरों के घर के सामने जा पहुँचा ।
वामीरों उस समय बाहर ही खड़ी थी। दोनों ने एक-दूसरे को देखा ।
उस पहली ही मुलाकात में तोतारांग और बामीरो एक-दूसरे की ओर आकर्षित हो गए । उन्होंने एक-दूसरे से मिलना-जुलना शुरू कर दिया। कभी वे जंगल में मिलते तो कभी सागर-तट पर ।
वे परस्पर प्यार-भरी बातें करते और साथ-साथ जीने-मरने की कसमें खाते ।
लेकिन जब लड़की के घर वालों को इस बारे में पता चला तो उन्होंने वामीरो की जमकर पिटाई की और उसे कभी भी तोतारांग से न मिलने की चेतावनी दी ।लेकिन जब लड़की के घर वालों को इस बारे में पता चला तो उन्होंने वामीरो की जमकर पिटाई की और उसे कभी भी तोतारांग से न मिलने की चेतावनी दी ।
तोतरांग को इस बारे में कुछ पता न चला। वह रोजाना अपने मिलन-स्थल पर पहुँचता और घंटों वामीरो का इंतजार करके वापस लौट जाता। बहुत दिनों तक ऐसा चलता रहा ।
एक दिन गाँव में एक तमाशा होने वाला था। गाँव के सभी लोग उसका मजा लेने को उत्सुक खड़े थे। वहाँ पर अचानक तोतारांग और वामीरो की मुलाकात हो गई ।
तोतारांग ने उसके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा । लेकिन उसने मना कर दिया और उससे हमेशा के लिए वहाँ से चले जाने की विनती की ।
तोतारांग बहुत हताश हुआ। उसकी समझ में नहीं आया कि वामीरो मना क्यों कर रही है। क्रोध में, उसने कमर में बँधी अपनी तलवार निकाली और पहाड़ के एक हिस्से पर चोट की | पहाड़ का वह हिस्सा कटकर समुद्र में जा गिरा ।
तोतारांग पहाड़ी के उस टुकड़े पर बैठ गया और उसे खेता हुआ समुद्र में बढ़ गया। आगे एक स्थान पर जाकर वह टुकड़ा अटक गया । तब, तोतारांग ने उधर से और वामीरो ने इधर से एक दूसरे को पुकारना प्रारम्भ किया ।
अब, न तो तोतारांग इस दुनिया में है और न ही वामीरो । लेकिन पहाड़ी का वह टुकड़ा अभी भी समुद्र में है।
लोग उसे “लिटिल अण्डमान' कहते हैं ।