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अंडमान निकोबार की लोक कथाएँ

आदिकाल में निकोबार में अनगिनत सुअर थे ।

वे वहाँ के लोगों को खूब परेशान किया करते थे ।

एक दिन एक आदमी खाली हाथ कहीं जा रहा था। अचानक उसका सामना सुअरों के एक झुंड से हो गया। उन्होंने उस पर हमला कर दिया। आदमी कुछ न कर सका और मारा गया ।

उसकी मौत की खबर पाकर उसका बड़ा भाई दुख के सागर में डूब गया । उसने सुअरों से बदला लेने की कसम खा ली। उसने अपने फरसे की धार को पैना करना शुरू किया । सारी रात वह उसे धारदार बनाता रहा ।

अगले दिन, स्वेरे-सवेरे वह जंगल में गया । फरसे की धार को आँकने के लिए उसने एक तगड़ा प्रहार एक पेड़ पर किया और एक ही वार में उसे काट डाला । लेकिन उसे तसल्ली नहीं हुई । वह घर लौट आया और दोबारा उसकी धार को तेज करने के लिए बैठ गया । घंटों मेहनत के बाद उसने उसे एक मक्खी पर टैस्ट किया और उसके दो टुकड़े कर डाले ।

धार से सन्तुष्ट होकर वह फरसे को थामे घर से निकला और उसी जगह जा पहुँचा, जहाँ पर उसके भाई को सुअरों ने मार डाला था ।

वहाँ, वह एक ऊँचे पेड़ पर जा चढ़ा और चीख-चीखकर सुअरों को ललकारने लगा । उसकी आवाज सुनकर सुअर वहाँ आ गए । उसे ऊँचे पेड़ पर चढ़ा पाकर वे एक के ऊपर एक चढ़ने लगे। बड़ा भाई यही चाहता था। धारदार फरसे से उसने वे सारे सुअर मार डाले।

इसके बाद उसने पुनः पुकारना शुरू किया। सुअरों का एक बड़ा झुंड पुन: वहाँ आ पहुँचा। उन्होंने भी पहले झुंड के सुअरों की तरह एक के उपर एक खड़े होकर बड़े भाई तक पहुँचने की कोशिश की और मारे गए ।

लेकिन तीसरी बार पुकारने पर सुअर नहीं आए । उनके स्थान पर एक देव आया और उससे सुअरों की हत्या रोकने का आग्रह किया । बड़े भाई ने उसकी बात को नहीं सुना । उसने मारे गए सभी सुअरों को इकट्ठा करके आग में भूनना शुरू कर दिया । लेकिन एक तरफ से भुन जाने के बाद जैसे ही बह दूसरी ओर भूनने के लिए उन्हें पलटता, पहली तरफ का हिस्सा पहले-जैसा हो जाता। वह बार- बार उन्हें भूनता और पलटता रहा ।

आखिर परेशान होकर उसने एक तरफ के हिस्से को ही खाकर अपनी भूख मिटा ली। इसके बाद, जैसे ही वह अपने घर के दरवाजे पर पहुँचा, देव उसके सामने प्रकट होकर बोला, अगर मैं तुमको शार्क बना दूँ तो कैसा रहे ?

मैं गहरे सागर में उतर जाऊँगा । उसने जवाब दिया ।

“तो तैयार हो जाओ।” देव ने क्रोधपूर्वक कहा ।

बड़ा भाई शार्क बन जाने के लिए सिर झुकाकर नीचे बैठ गया। अचानक कहीं से एक साँप वहाँ आ पहुँचा और बडे भाई के शरीर पर चारों तरफ लिपट गया। जैसे ही देव ने श्राप फूँका, साँप मर गया।

वास्तव में, बड़े भाई द्वारा मारे गए सुअरों की आत्मा ही देव के रूप में प्रकट हुई थी ।

बड़े भाई को मारकर वह सुअरों की हत्या का बदला लेना चाहती थी ।