एक बार कार निकोबार के कुछ लोग अपनी डोंगियों में बैठकर नारियल इकट्ठे करने के लिए कमोर्ता की ओर चले ।
लेकिन उस टापू पर पहुँचने से पहले ही समुद्र में तूफान आ गया और वे घिर गए ।
हर आदमी डर गया ।
उन्होंने बचने की लाख कोशिशें कीं लेकिन उनमें से अधिकतर उस तूफान में मारे गए ।
बाकी के कुछ जैसे-तैसे तैरकर उस टापू तक पहुँचे और बच गए ।
लेकिन अभी उनके दुर्भाग्य का अन्त नहीं हुआ था। वे एक भयंकर रोग का शिकार हो गए और तीन को छोड़कर शेष सभी मर गए ।
उनके गाँव में, जब बहुत दिनों तक कोई लौटकर नहीं आया तो उन्होंने उन्हें मर चुके मान लिया और शोक मनाने लगे ।
काफी दिनों बाद, बचे हुए तीनों लोग किसी तरह गाँव वापस आए और आप बीती गाँव वालों को सुनाई ।
उनकी कष्टभरी दास्तान सुनकर गाँव वालों ने आसमान की ओर हाथ उठाकर ईश्वर को धन्यवाद दिया कि उसने उन तीन लोगों के जीवन की रक्षा की ।
इसके बाद उन्होंने सुअर के मांस की दावत की और आग के चारों ओर बैठकर मृत- आत्माओं की शान्ति के लिए रातभर ईश्वर से प्रार्थना के गीत गाए ।