सृष्टि की रचना के दौरान आदिकाल में सबसे पहले यह धरती बनी, फिर पेड़-पौधे और फिर पशु- पक्षी ।
पुलुगा (ईश्वर) ने उसके बाद एक पुरुष की रचना की । उसे नाम दिया - टोमो | उसका रंग काला था। उसका शरीर मजबूत और ऊँचा था। उसमें मस्तिष्क भी था और स्वाभिमान भी। पुलुगा ने जंगल में ले-जाकर उसे फल वाले तमाम वृक्ष दिखाए और कहा, “ भूख लगने पर तुम जिस फल को चाहो खा सकते हो ।
इसके बाद पुलुगा ने टोमों को एक विशेष बाग की ओर संकेत करके बताया, “परन्तु तुम कभी भी उस बाग में मत जाना ।
चले भी जाओ तो उस बाग के किसी भी फल को मत खाना । वह तोताथेमी का बाग है।
पुलुगा ने टोमो को चोम और बेल के दो टुकड़ों को परस्पर रगड़कर आग जलाना सिखाया । पुलुगा ने ही टोमो को चाना-बी-भी (सूर्य की माता, अदिति) की स्तुति करना सिखाया। उसने कहा, “जब तक आग चलती रहती है चाना-बी-भी वहाँ उपस्थित रहती है ।
परन्तु उसके बुझते ही वह वापस अपने लोक को चली जाती है । इसके बाद पुलुगा ने टोमो को सुअर का मांस पकाना सिखाया। पुलुगा ने अपने दो विश्वसनीय गणों लाची और पुंगा-अउ-भोला--को भी टोमो की मदद के लिए धरती पर रखा ।
धरती पर पहली स्त्री के बारे में अण्डमानी लोगों के बीच अनेक लोककथाएं प्रचलित हैं । कहा जाता है कि धरती पर रहना सिखाने के दौरान पुलुगा ने महसूस किया कि टोमो को एक साथी की भी आवश्यकता है । पुलुगा ने तब चान-आ-ए-लबादी नाम की स्त्री की रचना की ।
कुछ का कहना है कि चान-आ-ए-लबादी सागर में तैर रही थी ।
टोमो उसकी ओर बुरी तरह आकर्षित हो गया और उसने उससे अपने साथ रहने की प्रार्थना की | वह बिड द्वीप पर आ गई। टोमो के दो पुत्र और दो पुत्रियाँ हुईं । बेटों के नाम बिरदा और बोरोला थे तथा बेटियों के नाम रिओला और रोमिला ।
समय बीतता गया । द्वीप पर सुअरों की संख्या इतनी अधिक हो गई कि वे टोमो की पत्नी के लिए परेशानी पैदा करने लगे । वह उनसे इतनी अधिक नाराज हो गई कि उसने सुआ मारकर सुअरों के नाक और कान छेद डाले । कहते हैं कि सूँघने और सुनने की शक्ति सुअरों को तभी से मिली । पुलुगा ने तब धरती पर जंगल उगा दिया और सुअरों से कहा, “जान बचाकर वहाँ भाग जाओ।” और तभी से आदमी के लिए सुअर का शिकार करना बहुत कठिन हो गया । आदमी को देखते ही वे घने जंगल में दौड़ लगा जाते और छिप जाते ।
तब पुलुगा ने मनुष्य को तीर, कमान और तुरही बनाना सिखाया ।
उसने उसे मछली पकड़ने के लिए डोंगी बनाना भी सिखाया और मछली को पकाना भी ।
पुलुगा ने चान-आ-ए-लबादी को भी बाँस, पत्ती और झाड़ियों की लकड़ियों से चटाइयाँ व टोकरियाँ बुनना सिखाया ।
पुलुगा ने मनुष्य को सूर्यास्त के बाद काम न करने की आज्ञा दी क्योंकि इससे उसके सहयोगी बुतू को सिरदर्द होता है । उसने मनुष्यों को भाषा सिखाई ताकि वे बोलकर परस्पर अपने उद्गार प्रकट कर सकें ।
जैसे-जैसे समय बीता---स्त्री-पुरुष के जोड़े सारी धरती पर फैल गए।