बादशाह अकबर को कहानी सुनना बहुत पसंद था। रोज रात को कहानी सुने बिना उन्हें नींद नहीं आती थी।
कहानी सुनाने के लिए किसी-न-किसी दरबारी को महल में बुलाया जाता था। प्रत्येक व्यक्ति को बिल्कुल नई कहानी सुनानी पड़ती थी।
एक रात बीरबल की बारी आई। उन्होंने सोचा कि हर बार नई कहानी कहाँ से लाई जाए। बादशाह की यह आदत छुड़ानी पड़ेगी।
बीरबल रात में अकबर के कक्ष में पहुँचे। बादशाह उनकी प्रतीक्षा क्र रहे थे। उन्होंने कहा, आओ बीरबल, आज हमको कोई नई और लंबी कहानी सुनाओ। आज हम बहुत बेचैन हैं।
बीरबल आराम से बैठ गए और कहानी सुनाने लगे, हुजूर, एक गावँ में एक मालदार किसान रहता था। एक बार उसने मिस्त्रियों को बुलाया और उन्हें एक बड़ा कोठार बनाने की आज्ञा दी।
वह चाहता था कि कोठार सब तरफ से बंद हो। उसमें कही से भी हवा न जा सके। उसमें खिड़की दरवाजें भी न हो।
इस बार जब फसल काटी गई तो किसान ने सारा गेहूँ कोठार में भरवा दिया।
किन्तु एक समस्या पैदा हो गई। मिस्त्री की गलती से कोठार की एक एक दीवार में एक छोटा-सा छेड़ छूट गया।
एक गौरैया आई, वह कोठार में घुसी और गेहूँ का एक दाना लेकर फुर्र से उड़ गई।
अकबर ने पूछा, फिर क्या हुआ ?
बीरबल ने आगे बताया, फिर एक गौरैया आई, कोठार के अंदर गई और गेहूँ का एक दाना लेकर फुर्र से उड़ गई।
फिर?
फिर एक और गौरैया आई, कोठार के अंदर गई और एक दाना लेकर उड़ गई।
इस प्रकार बीरबल ने पचास गौरैयों का किस्सा सुना डाला कि कैसे वे अंदर गई और अपनी चोंच में गेहूँ का एक दाना लेकर उड़ गई।
अकबर ने बीरबल को रोकते हुए कहा, अब बहुत सारी गौरैया दाना लेकर उड़ चुकी। आगे की बात बताओ।
जहाँपनाह वहां तो हजारों गौरैया थी। मैंने तो अभी सिर्फ पचास का हाल सुनाया है। जब तक सारा कोठरी खाली न हो जाएगा, कहानी इसी प्रकार चलती रहेगी।
हो सकता है इसको खाली होने में की महीने लग जाएं। की साल भी लग सकते हैं।
अकबर ने बीरबल को रोका, बस, बस बीरबल! बंद करो यह कहानी, हमे नींद आ रही है।