एक बार अकबर के दरबार में लंका नरेश का दूत आया। उसने बादशाह से अनोखी प्रार्थना की, जहाँपनाह, आपके दरबार में एक-से-एक ज्यादा अक्लमंद मौजूद हैं।
हमारे नरेश ने आपके दरबार से घड़ा भरकर अक्ल लाने के लिए भेजा है।
दरबारियों में तरह-तरह की चर्चाएँ होने लगीं। किसी ने कहा कितनी बेतुकी मांग है ?
कोई बोला, लंका हमें नीचा दिखाना चाहते है। किसी ने कहा, इस गुत्थी को कोई भी नहीं सुलझा सकता बीरबल भी नहीं।
बादशाह अकबर ने बीरबल की ओर देखा। बीरबल समझ गए की बादशाह क्या कहना चाहते हैं। उन्होंने कहा, जहाँपनाह हम आसानी से अक्ल का इंतजाम कर सकते हैं।
लेकिन कुछ समय लगेगा। शायद दो-तीन हप्ते लग जाएँगे। दूत ने कहा, मैं इंतजार करने को तैयार हूँ। बादशाह बोले, बीरबल, हमे यकीन है कि तुम सोच-समझकर कदम उठाओगे। यह हमारी इज्जत का सवाल है।
बीरबल ने निवेदन किया, आप चिंता न करें जहाँपनाह। लंका नरेश को घड़ा भरकर अक्ल अवश्य मिलेगी।
शाम को बीरबल ने अपने सेवक को बुलाया और बोले, जाओ छोटे मुँहवाले कुछ घरे लेकर आओ।
सेवक शीघ्र ही घड़े लेकर आ गया। घड़ों के साथ बीरबल अपने खेत में पहुँचे। वहां कद्दू की एक बड़ी बेल फैली हुई थी। उन्होंने एक घड़ा लिया और उसे धीरे से कद्दू के फूल पर औंधा रख दिया।
इसके बाद सेबक से कहा, बाकि घड़े भी इसी तरह रख दो।
जब सबक ने घड़ों को फूलों पर रख दिया तो बीरबल बोले देखो, इनकी अच्छी तरह देखभाल करना। कोई भी घड़ा अपनी जगह से हटाया न जाय। मैं इन्हें बाद में मँगवाउँगा।
इसी तरह कुछ सप्ताह बीत गए। एक दिन बादशाह को घड़े-भड़ घड़े-भर अक्ल की बात याद आई। उन्होंने बीरबल से पूछा, कही बीरबल, कुछ बात बनी ?
बीरबल ने कहा, जहाँपनाह, बस दो सप्ताह में घड़ा अक्ल से भड़ जायेगा।
दो सप्ताह बाद बीरबल घड़ों के पास पहुंचे। उन्होंने देखा घड़े के अंदर कद्दू घड़े के बराबर बड़े हो गए हैं। वे दरबार में पहुंचे और लंका नरेश के दूत को बुलवाया। बीरबल ने कहा जहाँपनाह, अब घड़ा-भर अक्ल तैयार है।
बीरबल ने ताली बजाई। तुरंत उनका सेवक एक थाल में घड़ा रखकर बड़ी शान से दरबार में हाजिर हुआ।
बीरबल ने घड़ा उठाया और दूत से बोले, यह लीजिये। इसे अपने नरेश को भेंट कीजिए। लेकिन एक बात याद रहे- इसमें अक्ल का जो फल है, वह तभी असर दिखाएगा, जब घड़े को बिना हानि पहुंचाए उसे घड़े से पूरा-पूरा बाहर निकाला जाए। हाँ यदि नरेश को अधिक अक्ल की जरूरत हो तो ऐसे पांच घड़े हमारे पास और भी हैं।
दूत ने घड़े से पर्दे हटाया तो उसकी आँखें फैले गई। उसने अंदर झाँका और बोलै, बीरबल का जवाब नहीं है, जहाँपनाह।
दूत के जाने पर अकबर ने बीरबल से कहा, तुमने बताया कि तुम्हारे पास ऐसे पांच फल और हैं। एक हमें भी तो दिखाओ।
जैसे ही अकबर ने घड़े में झाँका, उसके अंदर तजा कद्दू को देखकर वह जोर से हँस पड़े, वह भाई वह! इसे पाकर निश्चय ही लंका नरेश को अक्ल आ जाएगी। तुम्हारा कोई जवाब नहीं है।