खोजा की बुद्धिमानी

मुल्ला नसरुद्दीन कहानी - Mulla Nasruddin

नंगर में एक सेठ के घर चोरी हो गई।

चोर सेठ के घर में रखे आभूषण, नकदी आदि सभी चुरा ले गए।

सेठ का ध्यान सबसे पहले अपने नौकरों पर ही गया। लेकिन कोई भी नौकर गायब नहीं था।

तब वह नसरुद्दीन खोजा के पास पहुंचा, जो उन दिनों बादशाह का सहायक बना हुआ था।

सेठ ने खोजा से कहा, “जनाब! मुझे अपने नौकरों पर चोरी का शक है, लेकिन मैंने उनमें से किसी को चोरी करते देखा नहीं है।

अब आप ही मेहरबानी करके मेरे यहां चोरी करने वाले का पता लगाकर उसे सजा दीजिए, ताकि चोरी हुआ मेरा धन मुझे वापस मिल सके।”

“आप परेशान न हों सेठजी।” खोजा ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा, “पहले मुझे यह बताइए कि आपके घर में नौकरों की तादात कितनी हे ?”

“मेरे घर में छह नोकर हैं जनाब!” सेठ ने बताया।

“तब ठीक है। हम तुम्हारी हवेली पर चलते हैं। आप उन सबका परिचय करा देना।”

सेठ खोजा को अपनी हवेली में ले गया। उसने सभी नौकर खोजा के सामने पेश कर दिए। खोजा ने एक-एक करके सभी का बारीकी से निरीक्षण किया, लेकिन सभी नौकरों के चेहरों पर किसी तरह के कोई भाव नहीं दिखाई दिए।

लेकिन खोजा ने हिम्मत नहीं हारी। उसने एक तरकीब से काम लिया। उसने रूई का एक मजबूत धागा मंगवाया।

उस धागे के उसने छह बराबर-बराबर के टुकड़े किए और धागे का एक-एक टुकड़ा छहों को देते हुए कुछ मंत्र पढ़ते हुए बोला, मैंने इस धागे के बराबर-बराबर टुकड़े कर तुम छहों व्यक्तियों को दिए हैं। कल सुबह मैं फिर आऊंगा और इन धागे के टुकड़ों का परीक्षण करूंगा।

तुममें से जिसने भी चोरी कौ होगी, उसका धागा एक इंच बढ़ जाएगा। “ऐसा कह कर उसने छहों नोकरों को अलग-अलग कोठरियों में बंद करवा दिया जिससे कि वे आपस में कोई बातचीत न कर सकें।” फिर वह वहां से चला आया।

अगले दिन सुबह के समय खोजा कुछ सिपाहियों को साथ लेकर सेठ की हवेली पर जा पहुंचा।

उसने सभी छहों नौकरों को कोठरियों से बाहर निकलवाया और सभी से अपने-अपने धागे के टुकड़े को दिखाने को कहा।

परीक्षण करने पर उन नौकरों में से पांच के धागे तो ठीक उतने ही इंच क॑ मिले जितने इंच के उन्हें दिए गए थे किंतु एक का धागा एक इंच छोटा मिला। जब खोजा के सिपाहियों ने उस पर कोडा फटकारना शुरू किया तो उसने सच्चाई उगल दी।

दरअसल, रात के समय उसने यह समझकर अपना धागा एक इंच दांतों से काटकर छोटा कर लिया था कि सुबह होने से पहले यह धागा औरों को दिए गए धागों के बराबर हो जाएगा लेकिन खोजा ने तो चोर पकड़ने का एक झांसा दिया था और वह वास्तविक चोर उसके झांसे में आ फंसा।

एक घंटे की मशक्कत के बाद सेठ के घर से चुराया सारा माल भी बरामद हो गया।

चोर को कैदखाने में डाल दिया गया और सेठ को उसका माल लौटा दिया गया।

सेठ ने खोजा का बहुत आभार माना और उसे इनाम देना चाहा, लेकिन खोजा ने यह कहते हुए इनाम लेने से इंकार कर दिया कि यह उसका कर्त्तव्य था।

खोजा के इस कृत्य से बादशाह भी बेहद खुश हुआ। उसने खोजा की पीठ थपथपा कर उसे शाबासी दी। इससे खोजा का विश्वास और भी दृढ़ हो गया।