एक दुष्ट वजीर गंभीर रूप से बीमार था।
एक दिन खोजा उस मंत्री के घर के बाहर से गुजर रहा था। उसने देखा कि वजीर का बेटा घर के दरवाजे पर खड़ा है। खोजा ने बड़े अनमनेपन से उससे पूछ लिया, “तुम्हारे अब्बाजान की तबीयत अब कैसी है ?”
“शुक्रिया र्रोजा चाचा। आपकी दुआ से.....।”
“मेरी दुआ से?” खोजा उसकी बात काटता हुआ बोला, “मेरी दुआ से तो तुम्हारे परिवार वालों को इस समय मातम मनाना चाहिए था।” इतना कहकर खोजा आगे की ओर बढ गया।