जैसे सवाल, वैसे जवाब

मुल्ला नसरुद्दीन कहानी - Mulla Nasruddin

खोजा के मुल्क का बादशाह अपने को बहुत अक्लमंद मानता था।

वह अक्सर तरह-तरह के कठिन सवाल पूछकर दूसरों को नीचा दिखाने की कोशिश करता रहता था।

एक बार उसने बारह विद्वानों को बुलाकर उनसे पूछा कि पृथ्वी का केन्द्र बिंदु कहां है ?

एक भी विद्वान बादशाह के सवाल का जवाब नहीं दे सका, बल्कि सच तो यह था कि किसी ने भी सही जवाब देना नहीं चाहा।

सब जानते थे कि यदि सही जवाब दे दिया तो फिर उसकी खैर नहीं। बादशाह इनाम तो देगा नहीं पर सजा जरूर दे सकता है।

दरअसल, बादशाह ने अपने मुल्क में खगोल विज्ञान या आकाश विज्ञान की खोज-परख के लिए जो जरूरी उपकरण चाहिए होते हैं, वे कभी न तो राज्य की तरफ से किसी को दिए, न ही बाहर से आने दिए। यही नहीं, उसने जितनी भी वैज्ञानिक प्रयोगशालाएं बनवाई थीं, उन्हें नष्ट करवा दिया था।

कोई वैज्ञानिक इन सबके बावजूद कहीं किसी खोज में तो नहीं लगा है, यही जानने के लिए अक्सर वह उन्हें बुलाकर कोई-न-कोई सवाल पूछा करता था, और जब वे सब यह कहते कि उन्हें उसका उत्तर नहीं मालूम, तब वह यह सोचकर खुश होता कि उसके राज्य में कोई उसकी आज्ञा का उल्लंघन नहीं कर रहा।

इस बार भी यह देखकर कि कोई विद्वान उसके सवाल का जवाब नहीं दे सका, बादशाह बहुत खुश हुआ।

उसने पूरे राज्य में मुनादी करवा दी कि जो कोई मेरे सवाल का सही जवाब दे देगा, उसे ढेर सारा धन इनाम में दिया जाएगा, लेकिन अगर जवाब गलत मिला तो सजा मिलेगी।

मुनादी करने के साथ ही बादशाह ने इश्तहार छपवा कर जगह-जगह लगवा दिए।

यह सुनकर खोजा ने मन ही मन में निश्चय किया कि अपने विद्वानों का मजाक उड़ाने वाले, उन्हें डराने वाले और उन्हें उनके ज्ञान का विस्तार न करने देने वाले इस बादशाह को वह सबक सिखाकर ही रहेगा।

यों तो बहुत-से लोगों ने उस मुनादी को सुना, उन इश्तहारों को पढ़ा, लेकिन कोई भी बादशाह के सवाल जानने नहीं गया।

अलबत्ता खोजा अपने गधे पर सवार होकर राजदरबार की ओर चल पड़ा।

खोजा ने तय किया था कि वह महल में पहुंचते ही बादशाह को बारी-बारी से हर सवाल का ऐसा जवाब थमाएगा कि बादशाह भविष्य में किसी भी विद्वान से तो दूर की बात, आम जन से भी कोई सवाल करने से पहले दस बार सोचेगा।

खोजा को इस बात का इल्म था कि गैर मुल्कों में उसके बादशाह की सनक के चलते खासी फजीहत होती है।

इज्जतदार लोग बादशाह के दरबार में जाना पसंद नहीं करते।

बादशाह ने खोजा से प्रश्न किया “क्या तुम जानते हो कि पृथ्वी का केन्द्र बिन्दु कहां है ?"

खोजा ने तुरंत जवाब दिया, "हां जहांपनाह, जानता हूं।

पृथ्वी का केन्द्र बिंदु मेरे गधे की टांग के नीचे है।"

बादशाह ने गर्दन हिलाई, बोला, "बिल्कुल झूठ! मुझे तुम्हारी बात पर बिल्कुल यकीन नहीं है।"

आप पृथ्वी को नाप कर देख लीजिए।

अगर मेरी बात गलत साबित हो तो मुझे जरूर सजा दीजिए।" खोजा ने चुनौती दी।

बादशाह को कोई जवाब नहीं सूझा। उसे खोजा की दलील पर मौन रह जाना पड़ा।

अगले ही पल उसने दूसरा सवाल दागा, “अच्छा, यह बताओ, आकाश में कुल कितने सितारे हैं ?"

आपकी दाढ़ी के बालों के बराबर।" खोजा ने फौरन जवाब दिया।

"बिल्कुल गलत।" "मुझे तुम्हारी बात पर तनिक भी यकीन नहीं है।

बादशाह ने खोजा के उत्तर को नकारा।"

"मेरी बात सौ फीसदी सही है। अगर यकीन न हो तो आकाश में जाकर एक बार सारे सितारों को गिन लीजिए और फिर अपनी दाढ़ी मुंडवाकर उसके एक-एक बाल को गिन लीजिए ।

यदि दोनों की संख्या बराबर न निकले तो जो आपके जी में आए, वह सजा मुझे दे दीजिए।"

खोजा ने फिर मजबूत तर्क रखा।

अपनी दाढ़ी मुंड़ने की बात सुनकर तो बादशाह ने इस सवाल पर और बहस करने का इरादा ही छोड़ दिया और अगला सवाल कर दिया।

'अच्छा, तुम मुझे यह बताओ कि मेरी दाढ़ी में बाल कितने हैं? सही संख्या बताओ और वहीं खड़े-खड़े बताओ।"

खोजा ने एक हाथ से अपने गधे की पूंछ उठाई और दूसरे हाथ से बादशाह के मुंह की ओर इशारा करते हुए कहा, “आपके दाढ़ी के बालों की संख्या मेरे गधे की पूंछ के बालों की संख्या के बराबर है।"

यह सुनकर बादशाह बौखलाकर बोला, “बदतमीज कहीं का, यह कैसे मुमकिन हो सकता है ?"

खोजा के चहरे पर जरा भी शिकन नहीं आई।

उसने अनुरोध किया, "जहांपनाह। जैसा कि मैंने पिछले सवाल के जवाब में भी कहा था, आप अपनी दाढ़ी के बालों को गिन लीजिए और

फिर मेरे गधे की पूछ के बाल भी गिन लीजिए। दोनों बराबर न निकलें तो जो सजा आप देना चाहें, मुझे दे दीजिए।"

खोजा की दलील सुनकर बादशाह थोड़ा नर्म पड़ते हुए बोला, अच्छा खोजा, यह बताओ कि किसी के जनाजे में आगे की ओर रहना ठीक होता है, या पीछे की ओर!"

खोजा को समझते देर न लगी कि बादशाह अपनी झेंप मिटाने के लिए बात पलट रहा है।

उसने भी बारी-बारी से जवाब दिया, "बादशाह सलामत! मेरा तो मानना है कि ताबूत के आगे-पीछे रहने से कोई फर्क नहीं पड़ता।

अलबत्ता उसके अंदर रहना ठीक नहीं है।

यह सुनना था कि बादशाह ठहाका मारकर हंसने लगा। उसने सवाल-जवाब का सिलसिला वहीं खत्म किया और उठकर महल के अंदर चला गया।