एक दिन बादशाह और ख़ोजा हाथी पर चढ़कर नदी किनारे सैर करने को निकले।
रास्ते में उन्होंने एक शराबी को देखा जो नशे में झूम रहा था।
हाथी को देखकर शराबी ने लड़खड़ाती आवाज में बादशाह और खोजा की ओर देखते हुए पूछ लिया,
“ओ हाथी वाले! क्या अपना यह हाथी बेचेगा ?
बेचे तो इसका दाम बता।"
उसकी ऐसी हालत देखकर खोजा ने बादशाह से कहा, “चलते रहिये जहांपनाह!
यह आदमी नशे में धुत्त है।
अभी यह हाथी खरीदने की बात कर रहा है, थोड़ी देर में आपको और मुझे भी खरीदने की बात करने लगेगा।
शराब चीज ही ऐसी होती है।"
यह सुनकर बादशाह ने कहा, "लेकिन खोजा!
मैं इसे इसकी बेअदबी की सजा तो जरूर दूंगा।
मेरे शहर में लोग शराब जैसी गंदी चीज भी पीते हैं, यह मुझे आज पता चला।
मैं कल ही हुक्म दे दूंगा कि ऐसे लोग जो शराब पीते हैं, उनकी खोज की जाए।
मैं ऐसे लोगों को शहर से निकाल दूंगा।
फिर जाकर मरें किसी और राज्य में।"
अगले दिन उस शराबी को होश आया तो उसके पड़ोसियों ने उसे रात के वाकए की इत्तिला दी।
सुनकर उस शराबी का हाल-बेहाल हो गया।
भागा-भागा पहुंचा खोजा के घर।
बोला, हुजूर!
मुझे बादशाह हुजूर के गुस्से से किसी तरह बचा लीजिए।
वह या तो कैदखाने में डलवा देंगे या फिर शहर से निकाल देंगे।
मैं मारा जाऊंगा हुजूर! मेहरबानी करके किसी तरह बचा लीजिए।
खोजा गरीबों के प्रति बहुत मेहरबान था।
उसने उससे कहा, “देखो! तुम एक गरीब आदमी हो, तुमने गुनाह तो बहुत किये हैं, लेकिन उस
वक्त चूंकि तुम नशे में थे, इसलिए मैं तुम्हें बादशाह के गुस्से से निजात दिलाने की कोशिश कर दूंगा।एक बात तो तुम भी जानते होंगे कि इस्लाम में शराब पीना हराम की बात माना जाता है।
अब तुम मुझसे दिल से यह वादा करो कि आगे से इस मुराद चीजों का इस्तेमाल कभी नहीं करोगे।
" शराबी ने कान पकड़ कर तौबा की।
ठीक दो घंटे बाद दरबार लगने पर एक सिपाही भेज कर उस शराबी को तलब किया।
जब वह पहुंचा तो बादशाह ने बादशाह ने पूछा, “क्यों भाई!
क्या हाथी नहीं खरीदोगे ?"
शराबी ने नीचे गिरकर जमीन से अपनी नाक रगड़ी, फिर दोनों हाथ जोड़ कर बोला,
"जहांपनाह! हाथी खरीदने वाला ताजिर तो रात को कूच कर गया।
वह तो एक दलाल था।
उसका जवाब सुनकर बादशाह की हंसी छूट गई।
बोला, “जाओ माफ किया।
लेकिन यह तो बताओ कि ऐसा कहने को तुम्हें किसने कहा था ?"
शराबी ने धीरे से अपनी उंगली खोजा की तरफ उठा दी।