दुम कटा घोड़ा

मुल्ला नसरुद्दीन कहानी - Mulla Nasruddin

एक बार बादशाह जब शिकार खेलने गया,

तो वह अपने वजीर को साथ ले जाने की बजाय खोजा को साथ ले गया।

जंगल में दोनों ने बहुत खाक छानी, लेकिन किसी बड़े जानवर के मिलने की बात तो दूर,

उन्हें किसी मेमने का शिकार करने में भी कोई कामयाबी नहीं मिली।

इससे बादशाह को बहुत झेंप महसूस हुई। वह बहुत मायूस हुआ।

शिकार की तलाश में जंगल में भटकते-भटकते दोनों राजधानी से बहुत दूर निकल आए थे।

रात होने से पहले राजमहल तक पहुंचना संभव नहीं था, इसलिए रात को एक सराय में ठहर गए।

अपनी मायूसी और झेंप मिटाने के लिए बादशाह ने खोजा के साथ हंसी-ठिठोली करने की योजना बनाई।

इसी इरादे से बादशाह आधी रात को चुपके से उठा और उसने खोजा के घोड़े के जबड़े से मांस का एक टुकड़ा काट लिया।

बादशाह ने मन ही मन तय किया था कि जब अगली सुबह वह खोजा के साथ सफर के लिए निकलेगा, तब खोजा की हालत देखने लायक होगी।

वह बुरी तरह झेंपेगा और मैं खिल-खिला कर हंसूंगा।

पौ फटते ही खोजा जागा तो उसने देखा कि घोड़े के जबड़े का कुछ मांस कटा हुआ है।

वह फौरन समझ गया कि यह बादशाह की शरारत है।

बादशाह ने मेरे साथ मसखरी करने के लिए ही मेरे घोड़े की दुर्गति की है।

खैर, कुछ देर बाद बादशाह और खोजा ने चलने की तैयार की।

दोनों सराय से बाहर आए और अपने-अपने घोड़े पर सवार हो गए।

बादशाह को विदा करने के लिए सराय का मालिक और वहां ठहरे अन्य यात्री भी बाहर तक आए थे।

वे सब बारी-बारी से बादशाह को सलाम करते रहे और बादशाह सबकी सलामी का जवाब देता रहा।

इस बीच खोजा ने मौका देखकर बादशाह के घोड़े की दुम काट दी।

सलामी परेड़ पूरी हुई तो दोनों ने अपने-अपने घोड़ों को चलने का इशारा किया।

अभी दोनों सराय से थोड़ी ही दूर जा पाए थे कि बादशाह ने खोजा के घोड़े की तरफ ऐसे देखा, जैसे अचानक ही उसकी नजर पड़ी हो।

कुछ पल घोड़े को देखते रहने के बाद बादशाह ने खोजा की हंसी उड़ाने के इरादे से खोजा का ध्यान उसके घोड़े की तरफ दिलाया और खिल-खिला कर हंसते हुए बोला, “हा-हा-हा-हा! जरा सामने तो देखो खोजा।

तुम्हारा घोड़ा मुंह फाड़ कर हंस क्यों रहा है ?"

खोजा ने ठहाका मारते हुए बादशाह के घोड़े की दुम की तरफ इशारा किया और कहा,

"हां जहांपनाह! मेरा घोड़ा दरअसल आपके घोड़े पर हंस रहा है।

जरा पीछे मुड़कर अपने घोड़े को तो देखिए, उस बेचारे की दुम कहां चली गई ?"