बादशाह को गद्दी पर बैठे कई साल हो चुके थे।
इस बीच न तो किसी पड़ोस के राजा ने मुल्क पर हमला किया और न ही दूर के किसी बादशाह ने।
जनता भी इतने दिन कोई बड़ी लड़ाई न होने से बर्बादी से बची रही थी।
मुल्क में थोड़ी-बहुत खुशहाली हो चली थी।
यूं भी दो राज्यों की जंग से सबसे ज्यादा असर उस देश की जनता पर ही पड़ता है, जिस पर दूसरे देश की सेना हमला करती है।
यदि कोई राजा हमला करता था तो अपने देश का बादशाह लड़ाई के खर्च की भरपाई करने के लिए जनता से ज्यादा कर वसूल करने लगता था।
फौज के लिए खाना-खुराक का खर्च भी जनता से ही वसूल किया जाता था।
फिर जब दूसरे राज्य की सेना अपने राज्य में घुस आती तो वह खेतों को रौंदती, किसानों को लूटती हुई आगे बढ़ती थी,
और जब वह सेना लौट जाती थी तो मुल्क का बादशाह इस नाम पर नए-नए टैक्स जनता पर लगा देता कि सेना पर बहुत ज्यादा खर्च होने के कारण मुल्क का खजाना खाली हो गया है।
इन तमाम हालात में हर लड़ाई में जो सबसे ज्यादा घाटे में रहते थे वे मुल्क के आम लोग थे,
जिन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि मुल्क की गद्दी पर कौन बैठ रहा है।
अब कई साल से किसी बादशाह ने उस मुल्क की बादशाहत को कोई चुनौती नहीं दी थी,
तो बादशाह को यह गलतफहमी हो गई कि वह चूंकि दुनिया में सबसे ज्यादा ताकतवर बादशाह है,
इसीलिए उससे लड़ने की कोई हिम्मत नहीं करता।
इसी खुशफहमी के साथ बादशाह के दिमाग में एक शक भी घर कर रहा था कि क्या वाकई वह दुनिया में सबसे ज्यादा ताकतवर बादशाह नहीं है ?
अपने इस शक को दूर करने के लिए उसने खोजा की सेवाएं लेने का निश्चय किया।
एक दिन उसने खोजा को अपने दरबार में बुलाया।
उसके आने पर बादशाह ने खोजा से पूछा, "नसरुद्दीन खोजा!
तुम बहुत से मुल्कों में आते-जाते रहते हो।
तुम मुझे यह बताओ कि क्या किसी भी मुल्क में मुझसे ज्यादा ताकत वाला बादशाह है ?"
खोजा बोला, "बेशक, ऐसे लोग लाखों की तादाद में हैं, बादशाह सलामत!
अपने मुल्क में भी है और दूसरे मुल्क में भी हैं।"
बादशाह को यह जानकर बेहद अचंभा हुआ।
उसने पूछा, "वे लोग कौन हैं और कहां रहते हैं ?"
खोजा बोला, "वे किसान हैं और हर मुल्क के हर गांव में रहते हैं।"
खोजा की बात सुनकर बादशाह झल्लाया, “यह कैसी बेवकूफी की बातें कर रहे हो ?
मैंने तो समझा था कि तुम किसी बड़े आदमी का जिक्र कर रहे हो।
हल चलाने वाले किसानों की भला क्या औकात ?
आखिर वे मुझसे ज्यादा ताकतवर कैसे हो सकते हैं ?"
खोजा ने बादशाह को समझाया, "हां जहांपनाह!
किसान आपसे ही नहीं, किसी भी बादशाह से कहीं ज्यादा ताकतवर हैं।
अगर वे आपके लिए अनाज न उगाएं तो भला आपके अंदर ताकत कहां से आएगी ?