एक दिन खोजा ने बादशाह के सामने एक गवैये की बड़ी तारीफ की और कहा, "बादशाह सलामत ऐसा सितार बजाने वाला आपके राज्य में दूसरा कोई नहीं है।"
बादशाह ने कहा, "ठीक है, कल उसे हमारे दरबार में हाजिर करो।
कल उसका भोजन हमारे साथ ही होगा।"
दूसरे दिन दावत का प्रबंध था।
सभी बड़े-बड़े अमीर उमराव आए थे।
खोजा भी पहुंचा। साथ में बादशाह का पुराना सफाई कर्मचारी था।
जब सब लोग खाने पर बैठे तो बादशाह ने सितार वादक को सामने आने को कहा।
खोजा के संकेत पर सफाई कर्मचारी सामने आया।
उसे खाली हाथ देखकर बादशाह ने उससे कहा, "तुम्हारा सितार कहां है, लाए क्यों नहीं ?"
उसने उत्तर दिया, हुजूर! खोजा ने मुझे यहां दावत खाने के लिए
शामिल होने को कहा था, मेरा सितार खाना नहीं खाता, फिर वह खाने के समय यहां क्यों आता ?बादशाह ने बहुत शर्मिंदगी महसूस की, लेकिन उसने उस सफाई कर्मचारी से पूछ ही लिया, “सच बताओ, ऐसा करने के लिए तुम्हें किसने कहा था ?
सफाई कर्मचारी मुंह से तो कुछ न बोला, चुपचाप अपनी उंगली खोजा की तरफ उठा दी।"