एक बार खोजा की आंखों में तकलीफ हो गई और उसे हर चीज धुंध ली नजर आने लगी।
बादशाह ने मौका देख खोजा की खिल्ली उड़ाई, खोजा! सुना है कि अब तुम्हें हर चीज के दो रूप नजर आने लगे हैं!
अब तक तुम्हारे पास एक ही गधा था, लेकिन अब दो गधे हो गये होंगे।
तुम तो सचमुच बिना एक धेला खर्च किये दोगुने अमीर हो गए।
खोजा बोला, “आपने बिल्कुल सही फरमाया, जहांपनाह!
अब मुझे आपके भी दो की जगह चार पैर नजर आने लगे हैं।"
खोजा की चतुराई ने उन्हें आदमी से जानवर साबित कर दिया है,
यह बात बादशाह की समझ में आ गई, पर वह करता भी तो क्या,
छेड़छाड़ तो उसी ने शुरू की थी।
तभी एक बुजुर्ग चरवाहे ने बादशाह और खोजा को बीच में रोक कर गुहार की,
"बादशाह सलामत! मैं अब तक न जाने कितनी भेड़-बकरियां पाल चुका हूं,
पर भेड़िये न जाने मेरी कितनी भेड़-बकरियों को चट कर गए हैं।
क्या इस दुनिया में कोई ऐसा भेड़िया भी है जो बकरी न खाता हो ?"
चरवाहे की गुहार सुनकर बादशाह ने खोजा की तरफ देखा और बोला, "खोजा!
क्या तुम्हारे पास इस गरीब के सवाल का कोई माकूल
जवाब है ?"खोजा बोला, "नहीं जहांपनाह!
मैं तो आपके अलावा किसी को जानता नहीं हूं, इसलिए मैं यकीनी तौर पर इसे उस भेड़िये का नाम नहीं बता सकता जो भेड़-बकरियां न खाता हो।"
खोजा की बात में छिपे व्यंग्य को न समझते हुए बादशाह बोला, "पर मैं एक ऐसे भेड़िये को जानता हूं।"
'गुस्ताखी माफ हो जहांपनाह तो मैं अर्ज करना चाहूंगा कि आप ही मुझे उस भेड़िये के बारे में बता दें।
बुजुर्ग चरवाहे ने विनती की।"
"ऐसा भेड़िया जो मर चुका हो, वह किसी भेड़ या बकरी को नहीं खाता।
" बादशाह ने अपना ज्ञान बघारा।
बुजुर्ग समझ गया और गम्भीर मुद्रा में गर्दन हिलाता हुआ बादशाह और खोजा के रास्ते से अलग हट गया।
उसके जाने के बाद बादशाह खोजा की ओर देखता हुआ बोला,
"क्यों खोजा! मानते हो न मुझमें आज भी तुमसे ज्यादा समझ मौजूद है ?"
खोजा ने कुबूल किया, "हां जहांपनाह, यह तो अभी-अभी उजागर हो चुका है।
फिर मुझसे ज्यादा अक्ल भला होगी भी क्यों नहीं, उसे खर्च ही कहां होना होता है ?"