एक बार अकबर को बीरबल की चतुराई परखने की इच्छा हुई।
उन्होंने अपनी उंगली से अंगूठी उतारकर अपने एक दरबारी को सौंप दी और उससे कहा,
"इस अंगूठी को तुम अपने पास छिपाकर रख लो।
इसके विषय में किसी से कुछ मत कहना। आज हम बीरबल को थोड़ा परेशान करना चाहते हैं।"
थोड़ी देर बाद जैसे ही बीरबल दरबार में आये, अकबर ने कहा, "बीरबल!
आज सुबह मेरी अंगूठी खो गयी।
वह अंगूठी मुझे बेहद प्रिय है, इसलिए तुम किसी भी तरह उसे तलाश करके लाओ।"
बीरबल ने अकबर से घुमा-फिरा कर अलग-अलग ढंग से पूछा कि अंगूठी कहां गिरी, कहां रखी थी
वगैरह-वगैरह पर बादशाह अकबर एक ही बात कहते रहे मुझे याद नहीं। बस तुम मेरी अंगूठी खोजकर ला दो।
बीरबल समझ गये बादशाह उसे मूर्ख बना रहे हैं।
उन्होंने दरबारियों की तरफ देखा, सभी दरबारी मुस्कुरा रहे थे।
अब तो उन्हें पक्का शक हो गया कि उन्हें मूर्ख बनाया जा रहा है।
वे बोले, "ठीक है, मैं अभी आपकी अंगूठी खोज देता हूं।"
बीरबल आंखें बंद करके कोई मंत्र सा बुदबुदाने लगे फिर उन्होंने अकबर से कहा,
"हुजूर, आपकी अंगूठी यहीं है वह किसी दरबारी के पास है।
जिसके पास अंगूठी है, उसकी दाढ़ी में तिनका है।"
जिसके पास अंगूठी थी, वह दरबारी चौंक पड़ा और उसने फौरन अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरा।
उस समय बीरबल की नज़र चारों तरफ घूम रही थी।
बीरबल फौरन उस दरबारी के पास पहुंचे और उसका हाथ पकड़कर बोले, "जहांपनाह।
आपकी अंगूठी इन साहब के पास है, मेरी गुजारिश है कि इनकी तलाशी ली जाए।"
अकबर को तो यह मालूम था ही।
अंगूठी खोजने के लिए बीरबल ने कौन-सी युक्ति आज़माई थी, यह तो अकबर को मालूम नहीं हुआ, लेकिन बीरबल की चतुराई पर बादशाह खुश हो गये।
शिक्षा : समस्या के अनुसार ही उसका हल खोजने का तरीका होना चाहिए। इसके लिए लोगों के व्यवहार को पढ़ना, सीखना चाहिए। मनोविज्ञान की थोड़ी-सी जानकारी द्वारा तथा खोजने की कोशिश द्वारा आप अपनी कार्यशाला में दोषी व्यक्ति को ढूंढ़ सकते हैं। समस्या जितनी जटिल हो, उसे हल करने के लिए उतनी ही समझ होनी चाहिए। इस लायक बनने के लिए आपको लोगों के व्यवहार की समझ होनी चाहिए। थोड़े से मनोविज्ञान की जानकारी और प्रशिक्षण द्वारा और खोजने के समय से आप अपनी कार्यशाला में परेशान करने वालों को पकड़ सकते हैं।