एक दिन एक यात्री दरबार में आया और अकबर को एक फूलदान भेंट किया।
अकबर : " ओह, यह तो चिपका हुआ है।
मुझे कुछ भी टूटा हुआ, , बेकार या सड़ा हुआ पसन्द नहीं है।"
बीरबल ने यात्री की आंखों में निराशा देखी, "लेकिन क्यों शहंशाह ?"
अकबर : "मैं हैरान हूं कि तुम मुझसे यह क्यों पूछ रहे हो जो चीज़ किसी के उपयोग की नहीं तो वह बादशाह के उपयोग की कैसे होगी ?"
बीरबल : “ऐसा हमेशा नहीं होता, जहांपनाह।" अकबर : "तुम इसे साबित करके दिखाओ।'
बीरबल : "गन्ने को पीसकर उसका रस निकाला जाता है, जिससे चीनी बनती है और उसी चीनी से मिठाइयां बनाकर ईश्वर को चढ़ाते हैं।
कपास के टूटे हुए बीज से हमें सूती धागा मिलता है, जिससे बादशाह के लिए कपड़े बुने जाते हैं।
इन सबसे बचे हुए बेकार सामान से कागज बनाया जाता है जिसे कुरान व हमारे पुराण लिखने के लिए उपयोग किया जाता है।"
बादशाह सहमत हुए और यात्री से अपने व्यवहार के लिए क्षमा मांगी।
इस कहानी से शिक्षा : सृजनात्मकता वही है जो बेकार वस्तुओं का उपयोग कर नई का निर्माण कर सके।