कितनी चूड़ियां ?

अकबर बीरबल कहानी - Akbar Birbal Kahani

हर रोज की तरह एक दिन बादशाह ने बीरबल से पूछा : "बीरबल!

तुम दिन में अपनी पत्नी का हाथ एक या दो बार तो अवश्य ही पकड़ते होंगे।

क्या तुम बता सकते हो तुम्हारी पत्नी की कलाई में कितनी चूड़ियां हैं ?"

यह सुनकर बीरबल असमंजस में पड़ गये।

उन्होंने कभी पत्नी के हाथ की चूड़ियों की गिनती नहीं की थी।

कुछ देर तक विचार करने के बाद बीरबल बोले, “अन्नदाता!

यदि इजाज़त हो तो एक सवाल मैं भी पूछू ?"

"नहीं बीरबल। पहले हमारे सवाल का जवाब दो।"

"मगर आपके सवाल का जवाब मेरे सवाल में ही है, जहांपनाह।" अगर ऐसी बात है तो पूछो।"

'जहांपनाह।

मेरे हाथ का पत्नी के हाथों से दिन में एक-दो बार ही स्पर्श होता है, लेकिन आपका हाथ तो मूंछ पर दिनभर में दस या पांच बार अवश्य लगता है, भला आप ही बताएं आपकी मूंछ में कितने बाल हैं ?

" बादशाह ने बात काटने की गरज से कहा "मूंछ के बाल की गणना कठिन है, किन्तु हाथ की चूड़ियों को गिनना संभव है ?"

"जहांपनाह। स्त्रियां अपनी पसन्द के अनुसार कम अथवा ज्यादा चूड़ियां पहनती हैं।

अतः निश्चित तादाद गणना किए बिना बताना असंभव है।

" बीरबल मुस्कुराए, फिर आगे बोले-"अच्छा जनानखाने में आप रोज जाते हैं।

ऊपर पहुंचने के लिए आपको सीढ़ियां चढ़नी पड़ती होंगी।

क्या आप बता सकते हैं उस जीने में कितनी सीढ़ियां हैं ?"

यह सुनकर बादशाह बोले "कभी उनको गिनती करने का अवसर नहीं मिला।

आखिर हम बेवजह सीढ़ियां क्यों गिनेंगे ?"

तब बीरबल बोले "जहांपनाह!

सीढ़ियां तो बढ़ाई या घटाई नहीं जा सकतीं।

इस पर भी आप निश्चित संख्या नहीं बता पाए तो चूड़ियों की संख्या कैसे ठीक-ठीक बतायी जा सकती है।

यदि सीढ़ियां गिनी जा सकती तो चूड़ियां न गिनने के दोषी हम थे।

यह बात सुनकर अकबर बोले-"तुमसे जीतना मुश्किल है, बीरबल।" बीरबल मुस्कराकर रह गये।

इस कहानी से शिक्षा : हम जो कुछ भी देखते हैं उसे याद रखना मुश्किल होता है। हमें हमारी जरूरत के अनुसार ही चयन करना चाहिए। इस प्रकार हम अपने काम की जरूरी चीजें याद रख सकते हैं जैसे कि पत्नी या मालिक से हुई बातचीत याद रखनी चाहिए, न कि उनके कपड़े या गहने जो उन्होंने पहने थे।