एक बार अकबर को एक इत्र की शीशी भेंट की गयी।
उसे लगाते समय उसकी एक बूंद फर्श पर पड़ गयी।
वह नीचे झुके और उस बूंद को उंगली से पोंछ लिया।
अचानक उन्होंने देखा कि बीरबल ने उन्हें ऐसा करते देख लिया है, इसलिए अकबर ने दरबार में ऐलान करा दिया, "सभी फव्वारों में छः दिन तक इत्र भरा जाए।"
अकबर ने देखा कि इस ऐलान से बीरबल प्रभावित नहीं हुए और उन्होंने बीरबल से कारण पूछा।
बीरबल बोले, "सम्मान जो एक बूंद से गया उसको टैंक भर कर भी वापिस नहीं पाया जा सकता।"
शिक्षा : बीरबल ने कहा, "खोया सम्मान कभी वापिस नहीं आ सकता।" अगर आप चाहते हैं कि आपका सम्मान बना रहे और आप अपनी साख बनाए रखना चाहते हैं, तो अपने व्यवहार को भी उसी प्रकार दिशा दें, जिस प्रकार की छवि आप बनाना चाहते हैं।