एक बार एक पंडित अकबर के दरबार में आया और बादशाह से बोला,
वह उसके दरबारियों की बुद्धि की परीक्षा लेना चाहता है।
अकबर ने उसे आज्ञा दे दी।
सभी दरबारी नियत समय पर इकट्ठे हो गये।
पंडित ने उसके सामने एक ढका हुआ मटका रखा और पूछा बताओ इसमें क्या है।
चारों तरफ सन्नाटा था।
तभी बीरबल आगे आये।
उन्होंने मटके का ढक्कन हटा दिया और बोले इसमें कुछ नहीं है।
"लेकिन तुमने इसे खोल दिया।" पंडित बोला।
'तुमने यह तो नहीं कहा था कि इसे खोलना नहीं", बीरबल ने जवाब दिया।
पंडित बहुत निराश हुआ और बादशाह को सलाम करके चला गया।
शिक्षा : हमारा दिमाग उन अवरोधों को खोजता है जो होते ही नहीं हैं हमें उन नियमों को नहीं सोचना चाहिए जिनका अस्तित्व ही नहीं है। पहले से बनी भ्रांतियों के कारण हम समस्या का हल नहीं खोज पाते। इसके साथ, हमें अपने आस-पास के लोगों की काबलियत को कम नहीं समझना चाहिए। हर किसी के पास अपने स्रोत होते हैं।