एक दिन अकबर दरबार में आये, तो वह बहुत गुस्से में थे।
कोई कुछ भी पूछता तो वह गुस्से में ही उत्तर देते।
दरबारी समझ गये कि आज बादशाह का मूड ठीक नहीं है।
दरबार समाप्त होने पर बीरबल ने अकबर से उनके गुस्से का कारण पूछा।
अकबर ने कहा, "अरे, छोड़ो न इस बात को! मेरा दामाद बड़ा पाजी है।
मैं गुस्सा न करूं तो क्या करूं? हमेशा उल्टी-सीधी हरकतें करता रहता है।"
अब देखो न, अपनी बेटी से मिले हुए मुझे एक वर्ष हो गया है।
फिर भी मेरा दामाद उसे नहीं भेजता।" अकबर ने गुस्से से कहा।
"जहांपनाह, इसमें इतना नाराज होने वाली क्या बात है ?
मैं आज ही बेटी को लाने के लिए आदमी भेज देता हूं।"
"आदमी तो मैंने भी भेजा था, पर दामाद मानता ही नहीं।
वास्तव में यह दामाद जाति होती ही बहुत खराब है। अब तुम एक काम करो।
मैदान में कुछ सूलियां तैयार करवाओ। हम अपने राज्य के सभी दामादों को सूली पर चढ़ा देंगे।"
बीरबल ने बादशाह अकबर को बहुत समझाया फिर भी उनका गुस्सा शान्त नहीं हुआ।
वह कोई बात सुनने को तैयार नहीं थे।
आखिरकार बीरबल ने एक मैदान में कुछ सूलियां तैयार करा दी।
जब बीरबल अकबर को मैदान में सूलियां दिखाने ले गये, तो सूलियां देखकर बादशाह को तसल्ली हो गयी।
वह बोले "ठीक है, अब मैं अपने राज्य से दामादों का नामोनिशान मिटा दूंगा।"
इतने में एक सोने और एक चांदी की सूलियों पर अकबर की नजर पड़ी तो वे चौंके।
उन्होंने बीरबल से पूछा, "अरे बीरबल, तुमने ये दो कीमती सूलियां किसके लिए बनावायी हैं ?"
बीरबल ने सिर झुकाकर कहा, "हुजूर! सोने की सूली आपके लिए और चांदी की मेरे लिए।"
बादशाह अकबर सोच में पड़ गये। उन्होंने बीरबल से कहा, "मैंने तुम्हें ऐसा करने के लिए कब कहा था ? हम दोनों को सूलियों पर थोड़े ही चढ़ना है ?"
"जहांपनाह! आपने राज्य के सभी दामादों को सूली पर चढ़ाने के लिए कहा था।
आप और मैं भी तो किसी के दामाद हैं। यदि सभी दामाद सूलियों पर चढ़ाए जाएंगे, तो हम भी कहां बच पाएंगे ?"
आप बादशाह हैं, इसलिए आपके लिए सोने की सूली बनवायी और मैं आपका खास आदमी हूं, इसलिए अपने लिए चांदी की सूली बनवाई है।
देखें, दोनों सूलियां कितनी अच्छी बनी हैं ?"
बीरबल की बात सुनकर बादशाह अकबर सन्न रह गये।
उन्हें अपनी भूल समझ में आ गयी।
उन्होंने फौरन राज्य के दामादों को सूलियों पर चढ़ाने का आदेश रद्द कर दिया।
शिक्षा : जब आप लोगों को गुस्से और जल्दी में वर्गीकृत करते हैं तो निश्चित कर लें कि आप भी उस श्रेणी में न आ जाए। कोई भी निर्णय लेने से पहले एक बार उस पर विचार कर लें नहीं तो कई बार परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।