कितने ईमानदार?

अकबर बीरबल कहानी - Akbar Birbal Kahani

एक बार बादशाह अकबर ने पूछा, "बीरबल! हमारी राजधानी में कितने ईमानदार हैं ?

ईमानदार अधिक हैं या बेईमान ?" 'जहांपनाह, बेईमान अधिक हैं।" बीरबल ने कहा।

"सिद्ध कर सकते हो ?"

"बिल्कुल।" "ठीक है. सिद्ध करो।"

दूसरे दिन बीरबल ने महल का हौज खाली करवा दिया और नगर में ढिंढोरा पिटवा दिया, “आज रात को नगर का हर आदमी बादशाह के महल के हौज में एक-एक घड़ा दूध डाले।"

सुबह होते ही बीरबल अकबर को हौज के पास ले गये।

हौज को देखते ही बादशाह अकबर की आंखें खुली की खुली रह गयी।

वे जोर से चिल्लाये, "यह क्या है ?

हौज में दूध के बदले पानी! मेरे हुक्म का ऐसा अनादर!"

बादशाह अकबर गुस्से से लाल-पीले हो गये।

बोले, "यह कैसे हो सकता है ? बीरबल! ढिंढोरा पिटवाने में जरूर कोई भूल हुई होगी।

लोग बादशाह के हुक्म का पालन न करें, ऐसा हो ही नहीं सकता।"

बीरबल ने शान्तिपूर्वक अकबर से कहा, "हुजूर, जैसा आप सोचते हैं, नहीं हुआ है।

सच बात तो यह है कि सभी ने जान-बूझ कर हौज में दूध के बदले पानी डाला है।

" अकबर ने कहा, "मैं कैसे मान लूं कि जैसा तुम कह रहे हो, ऐसा ही हुआ होगा।

"हुजूर! मेरे साथ चलिए, अभी दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है।"

दोनों भेस बदलकर बाहर निकले। चलते-चलते वे एक सेठ की हवेली पर पहुंचे।

सेठ ने पूछा, "कौन हैं आप ?"

बीरबल ने कहा, "राहगीर हैं भाई।

थोड़ी देर रुक कर आगे चले जाएंगे।"

सेठ ने कहा, “आइए, अंदर आ जाइए।'

दोनों अन्दर गये। पानी पिया, फिर आराम से बैठे।

बीरबल ने कहा, "सेठजी!

आपके बादशाह ने अपने हौज में लोगों को एक-एक घड़ा दूध डालने का हुक्म दिया था, क्या यह बात सच है ?"

सेठ ने कहा, "हां, सच है।"

बीरबल ने कहा, "किसी को ऐसी बात पसन्द नहीं आती, लेकिन बेचारे क्या करते ?

बादशाह का हुक्म था, इसलिए...।"

सेठ ने कहा, "हुक्म देने वाला तो हुक्म दे देता है, पर मनुष्य में तो बुद्धि होती है न ?"

बीरबल ने कहा, “मतलब ?" सेठ ने बताया, "देखिए! किसी से कहना मत!

मैंने तो हौज में दूध के बजाय एक घड़ा पानी ही डाल दिया था।

रात के अंधेरे में कौन देखता है कि घड़े के अन्दर क्या है।

फिर नगर के सारे लोग तो दूध डालने ही वाले थे।

उसमें मैंने एक घड़ा पानी डाल दिया, तो क्या फर्क पड़ता है ?"

अकबर और बीरबल सेठ से इजाजत लेकर रवाना हुए।

इसी तरह वे चार-पांच जगह और गये।

सभी से एक ही बात सुनने को मिली कि हौज में सभी लोग दूध डालने वाले थे, पर अंधेरे में कौन देखता है कि घड़े में दूध है या पानी, यह सोचकर हर किसी ने हौज में दूध के बजाय पानी ही डाला था। बीरबल ने कहा, "हुजूर!

अभी और कहीं पता लगाने जाना है क्या ?"

अकबर ने कहा, "नहीं, नहीं, इतना ही बहुत है।

तुम सच कहते हो, सभी बेईमान गलत काम में एक हो जाते हैं और खासतौर पर स्वार्थ साधने में।"

शिक्षा : हमें निर्णय पर पहुंचने से पहले तथ्यों पर गौर कर लेना चाहिए। यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि डर हमेशा अधिकारी की आज्ञा पालन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है, अधिकारी इस बात का लाभ उठा सकते हैं। यदि उच्च अधिकारी इस बात से अनभिज्ञ है तो उसके अन्तर्गत काम करने वाले डर खो देते हैं जबकि उच्चाधिकारी अपनी अधिकारिता।