बादशाह ने एक बार देखा कि एक औरत एक बच्चे को बड़ा प्यार-दुलार कर रही थी जबकि वह बच्चा देखने में कुछ खास नहीं लग रहा था।
बादशाह को यह देखकर हैरानी हुई कि कोई औरत इतने बदसूरत से दिखने वाले बच्चे को इतना प्यार कैसे कर सकती है।
"क्योंकि वह उसका अपना बच्चा है।"
बीरबल ने समझाया। "हर माँ के लिए अपना बच्चा हमेशा सुंदर होता है।"
लेकिन बादशाह इस बात से संतुष्ट नहीं हुए।
अगले दिन बीरबल ने एक द्वारपाल को बुलाया और बादशाह की उपस्थिति में उसे सबसे सुन्दर बालक लाने को कहा।
अगले दिन द्वारपाल एक छोटे बालक को लेकर आया जिसके दांत बाहर निकले थे और बाल कांटों की तरह सीधे खड़े थे।
उसने हिचकते हुए उस बालक को बादशाह के सामने खड़ा कर दिया।
वह हकलाते हुए बोला, “स-सबसे सुन्दर बालक, जहांपनाह।"
कैसे कह सकते हो कि यह सबसे सुन्दर है ?
बादशाह बोला। "मेरी पत्नी, इसकी मां, ऐसा कहती है," सैनिक ने जवाब दिया। शिक्षा : मां के प्यार की कोई बराबरी नहीं कर सकता। इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हर कोई विशेष है चाहे इस तरीके से या दूसरे, लेकिन हम हर बार यह नहीं समझ पाते हर व्यक्ति की कौन-सी विशेषता उसे प्यारा और विशेष बनाती है।