भगवान के नाम

अकबर बीरबल कहानी - Akbar Birbal Kahani

'कबर बीरबल से बोले, "हम मुसलमानों के अल्लाह हैं, ईसाइयों के करते हो।

ऐसा क्यों ?"

बीरबल : "ईश्वर तो एक है बस उसके नाम अलग-अलग हैं।"

अकबर : "यह कैसे संभव है ? ईश्वर इतने रूप कैसे ले सकता है और फिर भी एक है।"

बीरबल ने एक नौकर को बुलवाया जिसने पगड़ी पहनी थी। उसने उसकी तरफ इशारा करते हुए पूछा, “यह क्या है ?"

नौकर : “एक पगड़ी।"

बीरबल : "इसे खोलो और अपनी कमर पर बांधो।"

जब उसने ऐसा किया तो बीरबल ने पूछा अब यह क्या है ?

नौकर ने कहा : "कमरबंद" बीरबल : अब इसे खोलो और कमर से नीचे बांधो।

अब यह क्या है ? नौकर : "धोती"

अब बीरबल अकबर की तरफ मुड़े और बोले, "आपने देखा जब एक कपड़ा अलग तरीके से प्रयोग किया जाता है तो उसका नाम बदल जाता है।

इसी तरह पानी जब आकाश में होता है तो बादल कहलाता है, जब धरती पर गिरता है तो बारिश, जब बहता है तब नदी, जब जम जाता है तो बर्फ।

इसी तरह ईश्वर एक है जिसे. अनेक व्यक्तियों द्वारा अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है।

शिक्षा : हम वस्तुओं को अपनी समझ के अनुसार नाम देते हैं। हमें इस बात का ध्यान रखना है कि हमने वस्तु को जो नाम दिया है वह जरूरी नहीं है कि वस्तु वही हो। कई बार वस्तु के नये उपयोग ढूंढ़ने के लिए हमें उसके नाम से अलग हटकर सोचना पड़ता है। इसी तरह ईश्वर, हम उसे जो भी बुलायें, उसे हम पहचान पाएं या नहीं, इससे ईश्वर की प्रकृति और पहचान पर कोई असर नहीं पड़ता। मनुष्य ने ही उसे विभिन्न रूप और नाम दिए हैं। जब इस बात को स्वीकार कर लेंगे तब हम उसे पूरी श्रद्धा के साथ पूजेंगे।