रानी राज्य में अंधे व्यक्तियों को दान देना चाहती थी।
पूरे राज्य में खोज की गयी तो बहुत ही कम अंधे व्यक्ति थे।
बीरबल बोला : "जहांपनाह, बहुत से व्यक्ति ऐसे भी हैं जो आंखें होते हुए भी नहीं देख सकते।"
अकबर : "ये तुम कैसी बातें कर रहे हो ? जिनकी आंखें हैं वे देख नहीं सकते।"
'आपको जल्द ही पता चल जायेगा।" कुछ दिन बाद बीरबल शहर के बीच चारपाई बुन रहे थे। उनका एक नौकर साथ में बैठा कुछ लिख रहा था।
हर कोई आकर बीरबल से पूछता, "वह क्या कर रहा है ?"
बीरबल बिना उत्तर दिए अपने नौकर को नाम लिखने को कहते। तभी खबर बादशाह तक पहुंची और वे भी वहां पहुंच गये।
अकबर : "बीरबल, तुम क्या कर रहे हो ?"
बीरबल नौकर से : "जहांपनाह का नाम भी जोड़ो।"
अकबर : "यह कैसा उत्तर है ?"
बीरबल : "मैंने आपको एक दिन बताया था कि बहुत से व्यक्ति आंखें होते हुए भी नहीं देख पाते।
हर कोई मुझसे पूछ रहा है मैं क्या कर रहा हूं जबकि मैं दिन की रोशनी में चारपाई बुन रहा हूं।"
शिक्षा : कई बार अंधा व्यक्ति भी अपनी छठी इन्द्री की सहायता से एक आंख वाले व्यक्ति से अधिक देख लेता है क्योंकि आंखों वाला व्यक्ति कई बार सामने वाली वस्तु को या तो देखना नहीं चाहता या देख कर अनदेखा कर देता है।