हुजूर और शामू बीरबल के पास न्याय मांगने आये।
दोनों एक आम के पेड़ को लेकर झगड़ रहे थे।
दोनों से पूछताछ करने के बाद बीरबल ने उन्हें घर भेज दिया और अगले दिन वापिस आने को कहा।
इसी बीच बीरबल ने दरबार के एक सैनिक को उन दोनों तक यह खबर पहुंचाने को कहा कि पेड़ से आम चोर चुरा रहे हैं।
फिर उन दोनों की प्रतिक्रिया बताने को कहा।
थोड़ी देर बाद सैनिक ने आकर बताया कि हुजूर बोला मैं इस वक्त जरूरी काम में व्यस्त हूं बाद में देखूगा, जबकि शामू चोरों को भगाने के लिए आम के पेड़ की तरफ भागा।
जब अगले दिन दोनों वापिस आये तो बीरबल ने कहा, “अब तुम दोनों तो बताने को तैयार नहीं कि पेड़ किसका है।
इसलिए मैं पेड़ को काटकर दोनों को आधी-आधी लकड़ी बांट दूंगा।
हुजूर तो इस निर्णय पर राजी हो गया लेकिन शामू बोला "मैंने इस पेड़ को बचपन से पाला है।
मुझे इसे खोने पर दुख नहीं होगा, लेकिन मैं इसे कटते हुए नहीं देख सकता।"
बीरबल ने कहा, “शामू ही पेड़ का असली मालिक है और हुजूर को उसके झूठ की सजा दी गयी।"
शिक्षा : प्यार को आसानी से जुदा नहीं किया जा सकता और जब सच्चा प्यार और एहसास गवाह होते हैं तो हमें यकीन होता है कि ये भावनाएं झूठी नहीं हैं।