एक बार बीरबल कहीं बाहर गये हुए थे
तब अकबर ने दरबारियों के सामने एक समस्या रखी कि वे आजकल अपने पुत्र सलीम और उसके एक मित्र यूसुफ की दोस्ती के कारण परेशान हैं क्योंकि सलीम गलत संगत में पड़ रहे हैं।
दरबारियों ने कई सलाह दी जैसे यूसुफ को दूर भेज दें, युवराज सलीम को बताएं कि वे यूसुफ के बारे में क्या सोचते हैं आदि।
सभी को अकबर ने अस्वीकार कर दिया।
जब बीरबल लौटे तो अकबर ने वही समस्या उसके सामने रखी।
बीरबल : “मुझे केवल दो दिन का वक्त दीजिए, जहांपनाह।"
अगले दिन बीरबल यूसुफ के पास गये और यह देखते हुए कि युवराज सलीम उन्हें देख रहे हैं, यूसुफ के कान में कहा, "यूसुफ हर आम में एक बीज होता है।"
और फिर बीरबल जोर से बोले यह बात किसी को मत बताना। और चले गये।
तभी सलीम यूसुफ के पास आये और बोले बीरबल, "तुम्हारे कान में क्या कह रहा था ?"
'कुछ नहीं" यूसुफ बोला। "हां, उसने कुछ कहा, मैंने देखा।" "कुछ बकवास, मैं नहीं समझ पाया।"
अगर तुम मुझे नहीं बताओगे, तो मैं कभी तुमसे बात नहीं करूंगा।"
अगर तुम जबरदस्ती करते हो तो मैं बताता हूं। वह बोला, 'हर आम में एक बीज होता है। "
"मैं विश्वास नहीं करता और आज से तुम मेरे मित्र नहीं हो।"
अगर तुम मुझ पर भरोसा नहीं करते तो मैं भी तुम्हें अपना मित्र नहीं मानता।
दोनों दोस्त चले गये और फिर एक दूसरे से कभी बात नहीं की।'
शिक्षा : लोगों को सच पर विश्वास दिलाना मुश्किल है जब कि दोस्तों के बीच शक का बीज बोना आसान है।