अकबर कुछ समय से परेशान थे और कोई बादशाह की इस दशा का कारण नहीं जान पा रहा था, जो हमेशा उत्साह व जोश से भरे रहते थे।
उनके राज्य में खुशहाली थी और वह शत्रुओं से भी सुरक्षित था।
सभी रंग, भेद जाति के व्यक्ति उन्हें चाहते थे।
तब भी उनके दिमाग में कुछ तो था जो उन्हें परेशान कर रहा था ?
अन्त में उनकी परेशानी का कारण पता चल गया।
वह था उनका प्रतिदिन का भोजन।
वह स्वयं ही भोजन की सूची बनाते थे।
न तो रसोइये और न ही खानसामा को आरोपित किया जा सकता था।
बादशाह का गोश्त और सभी प्रकार के खानों से मन खट्टा हो गया था और इस खास संतुष्टि की कमी उन्हें परेशान कर रही थी।
अकबर ने बीरबल को बुलवाया और खाने की सूची बदलने को कहा।
बीरबल ने रसोइये से पूछताछ कर पता लगाया कि काफी समय से बैंगन नहीं बनाये गये हैं।
उन्होंने रसोइये को बैंगन लाकर वह प्रयोग करने को कहा। रसोइये ने बैंगन की चटनी, सलाद, सूप और अन्य लज़ीज़ व्यंजन बनाकर पेश किये।
अकबर ने हर व्यंजन को स्वाद लेकर खाया और बीरबल की खूब प्रशंसा की।
अब तो बैंगन का नाश्ता, बैंगन का भोजन बनने लगा पर कुछ दिन बाद बादशाह फिर उकता गये।
अब फिर उन्होंने बीरबल को बुलाया। बीरबल कुछ और बनवाते, पर उन्होंने सोचा बादशाह कुछ समय बाद फिर उकता जाएंगे।
तब वह अकबर के पास गये और बोले, "जहांपनाह, कमी भोजन सूची में नहीं है।
यह आपके दिमाग में है जिसकी पसंद-नापसंद बदलती रहती है।
आप सूची में प्रतिदिन बदलाव लाइए और हर चीज को स्वाद से खाइए।
एक बार आपका दिमाग प्रशिक्षित हो जायेगा तो आपको दोबारा ऐसी परेशानी नहीं होगी।
शिक्षा : हम सब पर विजय पा सकते हैं पर अपने वहम पर विजय पाना मुश्किल है लेकिन उसी से ताकत, शांति और आनन्द भी मिल सकता है। अपने दिमाग को संतुलित कर हम जीवन के विभिन्न आयामों में संतुलन कर सकते हैं।