भ्रष्टाचार

अकबर बीरबल कहानी - Akbar Birbal Kahani

दशाह अकबर को यह पता था कि "भ्रष्टाचार ताकत से ही आता बादशाह अकबर ने यह बात बारखाल से पूछा बारबल असहमत ।

वह बोले "भ्रष्ट व्यक्तियों को भ्रष्ट बनने के लिए ताकत की आवश्यकता नहीं होती।"

बादशाह ने बीरबल को अपनी बात साबित करने के लिए कहा।

बीरबल कुछ बांस की छड़ी और रस्सी लेकर यमुना किनारे पहुंचे।

उसने छड़ियाँ जमीन पर अलग-अलग स्थानों पर इस तरह लगा दी जैसे वह कुछ खास माप रहे हैं।

वहां पर आसपास भीड़ इकट्ठी हो गयी यह जानने के लिए कि क्या हो रहा है।

बीरबल कुछ नहीं बोले। लोगों ने अनुमान लगाया कि शायद वह

कुछ राजकीय काम कर रहे हैं और इससे आसपास के इलाके या समुदाय के लिए समस्या हो सकती है।

बिना कुछ पूछे बीरबल को घूस देने लगे, कि वह उन्हें बचा लें।

बीरबल भी शांत रहे।

लोगों ने सोचा शायद धन कुछ कम है, तो उन्होंने कुछ अधिक धन देने को कोशिश की।

आखिर बीरबल ने अपनी बात को साबित किया, वहां से अपना सामान लेकर चले गये और बादशाह से इनाम पाया।

शिक्षा : भ्रष्टाचार को बढ़ने के लिए शक्ति के साथ उसके भुगतने वालों की सहायता भी बढ़ावा देती है। अगर कोई व्यक्ति कमजोर है और जल्द लाभ के लिए भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है तो भ्रष्ट व्यक्ति फलने फूलने लगता है। भ्रष्टाचार के लिए प्रणाली को दोष देने के बजाय हमें यह देखना चाहिए कि कुछ पाने के लिए लोग कितनी घूस देते या लेते हैं ?