लालची व्यक्ति

अकबर बीरबल कहानी - Akbar Birbal Kahani

घी के दो व्यापारियों की दुकानें एक-दूसरे के बराबर में थीं।

एक दिन उनमें से एक ने दूसरे से 500 स्वर्ण मोहरें उधार लेने की सोची और अपना कर्ज बिना किसी परेशानी के चुकाने को कहा।

लेकिन जब कर्ज वापिस करने का समय आया तो उसने ऐसा करने से मना कर दिया।

उसने यह भी स्वीकार करने से मना कर दिया कि उसने उससे रुपये उधार लिए हैं।

वह व्यापारी जिसने धन उधार दिया था वह न्याय के लिए बादशाह के पास गया।

बीरबल को हमेशा की तरह न्याय करने को कहा।

बीरबल ने दोनों को बुलवाया और दोनों की कहानी सुनी।

बीरबल ने दोनों से दस दिन का समय मांगा और दोनों व्यापारियों को घर भेज दिया।

समस्या पर गहन विचार के बाद बीरबल ने तेल के 10 टिन मंगवाए।

हर टिन में ।10 किलो तेल था और उनमें से दो में बीरबल ने सोने के सिक्के डाल दिए।

तब उसने 10 टिन अलग-अलग 10 व्यापारियों को दिए और उनकी कीमत पता करने को कहा।

उन्हें वे टिन घर ले जाने और तीन दिन बाद वापिस आने को कहा।

बीरबल ने सोने के सिक्‍के वाले दोनों बर्तन घी व्यापारियों को दे दिये।

वह व्यापारी जिसने धन उधार दिया था वह ईमानदार था और उसने सोने का सिक्का लौटा दिया।

लेकिन उसके बेईमान पड़ोसी को सिक्का मिला तो उसने उसे अपने बेटे को दे दिया।

निश्चित दिन पर सभी 10 व्यापारी तेल लेकर बीरबल के पास आये और उन्हें मूल्य के बारे में बताया।

बीरबल ने उस व्यापारी के टिन को ध्यान से देखा जो अपना कर्ज नहीं चुकाना चाहता था और यह भी देखा कि सिक्का गायब होने के साथ उसमें से कुछ तेल भी कम था।

जब बीरबल ने इस बारे में पूछा, तो व्यापारी ने जवाब दिया कि जब मैंने इसे परखने के लिए गरम किया होगा यह तब कम हो गया होगा।

बीरबल बोले, “अच्छा यह बात है, चलो मैं देखता हूं।

मैं अभी वापिस आता हूं।

' ऐसा कहकर, वह अन्दर गया और अपने एक नौकर को उस व्यापारी के घर जाकर उसके पुत्र से सिक्का लाने को कहा।

बहुत जल्द वह लड़का सोने के सिक्के के साथ दरबार में आ गया और तुरन्त उससे बीरबल ने पूछा, “क्या तुम वे पांचों सिक्के लेकर आये हो जो तुम्हारे पिता को तेल में मिले थे?”

तभी उत्तर आया, “मालिक, तेल में केवल एक सिक्‍का था, पांच नहीं।'

बीरबल ने तब व्यापारी से कहा, “जब तुम एक सिक्‍के के लिए बेइमानी कर सकते हो जो मैंने तेल के डिब्बे में डाला था व इसके साथ तुमने उसमें से कुछ तेल भी निकाल लिया और गरम करने के कारण तेल कम होने का बहाना बना दिया तब तुम 500 सोने के सिक्‍कों के लिए सच

क्यों बोलोगे जो तुमने पड़ोसी से उधार लिए थे।

अब तुम्हारे पास कहने को क्या हे ?

अब व्यापारी को बचाव का कोई तरीका नजर नहीं आया तो उसने सभी तेल व्यापारियों के सामने अपनी गलती मान ली।

इस कहानी से मिलने वाली शिक्षा :- सच कभी भी परदे के पीछे नहीं रह सकता। बेइमानी देर सवेर सामने आ ही जाती है। इज्जत एक बार जाने के बाद दोबारा पाना मुश्किल हो जाता है।