एक बार बदशाह अकबर के दिमाग में यह बात आई कि कोई ऐसी बात बीरबल के सामने रखी जाए,
जिसकी समस्या का निदान उसके पास न हो, वह देखना चाहते थे कि ऐसे अवसर पर उनकी बुद्धि क्या कार्य करती है ?
यह सोचकर उन्होंने बीरबल से कहा "एक असाध्य रोग के लिए वैद्यराज जी ने एक दवा बैल के दूध में इस्तेमाल करने की राय दी है।
अतः तुम कहीं से बैल का दूध लाकर दो।"
बीरबल ने कहा – “जैसा हुक्म जहांपनाह! लेकिन तलाश करने में कुछ समय लग सकता है।"
बादशाह ने कहा "ठीक है मैं तुम्हें दो-चार दिन का वक्त देता हूं।"
बीरबल छुट्टी लेकर घर जाकर आराम करने लगे।
अगली रात को जब बादशाह के सोने का समय हुआ, तो बीरबल ने अपनी अठारह वर्षीय बेटी को अपनी समस्या बता कर, कपड़ों के गट्ठर के साथ यमुना घाट के उस स्थान पर कपड़े धोने के लिए भेज दिया, जहां बादशाह का शयन कक्ष था।
बीरबल की बेटी ने जाकर आधी रात के समय कपड़े धोने शुरू कर दिए। कपड़े धोने की आवाज सुन बादशाह की आंख खुल गई।
उन्होंने सिपाहियों को बुलाकर डांटा और पूछा "जाकर देखो कि कौन व्यक्ति इस समय यमुना में कपड़े धो रहा है, उसे रोका क्यों नहीं गया ?"
वापस लौटकर सिपाहियों ने विनम्र स्वर में बादशाह को बताया "देखने में तो वह एक निहायत खूबसूरत जवान, अच्छे कुल खानदान की लड़की नजर आती है।
हमने उसे रोका तो उसने हमें डांट दिया। हमने कहा बादशाह सलामत की नींद उचटेगी। तो बोली जब ऐसा होगा, तब देखा जाएगा।"
बादशाह बोले "बड़ी गुस्ताख नजर आती है वह लड़की।
जाओ नगर कोतवाल को तुरंत भेजो और हुक्म दो, अगर वह शराफत से न आए तो उसे गिरफ्तार करके लाया जाए।"
हुक्म की देर थी, कुछ देर बाद ही एक अनिग्ध सुंदरी बादशाह के सामने हाजिर हो गई।
उसे देखकर बादशाह अचरज में पड़ गए।
सोचने लगे कि कौन ऐसे मां-बाप हो सकते हैं, जिन्होंने ऐसी लड़की को 'बेखौफ' आधी रात के समय निर्जन घाट पर कपड़े धोने भेज दिया।
बादशाह ने रोषपूर्ण स्वर में पूछा "ऐ लड़की, तुझे कोई और जगह नहीं मिली थी जो आधी रात को यहां महल के नीचे कपड़े धोने चली आई?"
लड़की ने विनम्र स्वर में कहा “हुजूर! इधर कपड़े धोने मैं इसलिए चली आई, क्योंकि मुझे पूरा यकीन था कि बादशाह के महल साये में मेरी इज्जत महफूज रहेगी।"
उसके बुद्धिमत्तापूर्ण उत्तर से बादशाह अकबर प्रभावित हुए।
फिर बोले "चलो, यह बात तो मैंने मानी, मगर कपड़े धोने का और कोई वक्त तुम्हें नहीं मिला ?"
'मजबूर थी शाहे आलम मेरे बाप ने सुबह ही एक बच्चे को जन्म दिया है..." मेरी मां नहीं है, दिनभर देख-रेख मुझे ही करनी पड़ी।
रात का खाना वगैरह पकाने के बाद मैंने सोचा अगर गंदे कपड़े रातों-रात नहीं धुले तो सुबह उनके इस्तेमाल के लिए कोई कपड़ा न रहेगा।"
"क्या बकती है लड़की कहीं मर्दो के भी बच्चे पैदा होते हैं ?"
"क्यों नही हो सकते आलमपनाह!" लड़की ने बेझिझक कहा बैल दूध दे सकता है तो मर्द के भी बच्चे हो सकते हैं।"
लड़की का उत्तर सुनते ही बादशाह अकबर सन्नाटे में आ गए। क्रोध एकदम मुस्कान में बदल गया।
वह बोले "मैं समझ गया दीवान, बीरबल की बेटी के अलावा और कोई नहीं हो सकती ?"
"आपने ठीक पहचाना हुजूर आली! मैं आपके दीवान बीरबल की ही बेटी हूं।"
"इतनी निडरता के साथ, इतनी बुद्धिमत्तापूर्ण उत्तर बीरबल की ही बेटी दे सकती है, जाओ, बीरबल से कहो मैंने उन्हें दिया हुआ आदेश वापस ले लिया है।
" और फिर बीरबल की बेटी को इनाम देकर ससम्मान डोली में बिठाकर उसके घर भिजवा दिया।
शिक्षा : इस दुनिया में बुद्धिमान लोगों की कभी कमी नहीं रही है। फिर वह तो बीरबल जैसे विद्वान और हाजिर-जवाब व्यक्ति की बेटी थी। जैसा बाप-वैसी बेटी। बादशाह को ठीक ही उत्तर दिया गया था। भला कोई बैल भी दूध दे सकता है। दूध दे सकता है, तो फिर पुरुष के भी बच्चा पैदा हो सकता है।