बादशाह का घमण्ड

अकबर बीरबल कहानी - Akbar Birbal Kahani

एक बार बादशाह अकबर को इस बात का घमण्ड हो गया कि वे इतने बड़े मुल्क 'हिन्दुस्तान' के बादशाह हैं,

वे क्या कुछ नहीं कर उन्होंने अहंकार से भरकर दरबारियों से पूछा - "क्या कोई ऐसा काम है जिसे मैं नहीं कर सकता ?"

एक चाटुकार दरबारी ने चापलूसी करते हुए कहा – “हुजूर का इकबाल बुलंद हो,

आप सब कुछ कर सकते हैं, बस केवल सूरज, चांद और दुनिया नहीं बना सकते, हुजूर के वश में मौत नहीं,

वैसे हुजूर सब कुछ कर सकते हैं - केवल अन्याय नहीं कर सकते।"

अकबर ने अन्य दरबारियों की राय पूछी हर किसी ने अपने-अपने तरीकों से बादशाह के बड़प्पन की प्रशंसा की।

अंत में उन्होंने बीरबल पर दृष्टि जमाई और पूछा - "तुमने नहीं बताया बीरबल, हम क्या नहीं कर सकते ?"

'जहांपनाह, सच बात तो यह है कि आप कई काम नहीं कर सकते।"

"जैसे...?" बादशाह के माथे पर बल पड़ गए।

बीरबल बोला "जैसे आप हथेली पर बाल नहीं उगा सकते, आप भूख को वश में नहीं कर सकते,

आप आदमी को जानवर और जानवर को आदमी नहीं बना सकते और गुस्ताखी माफ हो जहांपनाह...आप स्त्रियों की भांति प्रसव पीड़ा सहकर बच्चों को जन्म नहीं दे सकते।"

यह सुनकर बादशाह सोच में डूब गए।

उन्हें एहसास हुआ...सच्ची और खरी बात कहकर बीरबल ने उनकी आंखें खोल दीं, वे बीरबल की प्रशंसा किए बगैर न रहे।

इस कहानी से शिक्षा : अनहोनी बातों के बारे में कल्पना कर ये समझ बैठना । कि वह सब कुछ कर सकता है, कोरी मूर्खता ही तो है। बादशाह भी इस बारे में मूर्ख सिद्ध हुआ। बीरबल ने सच्चाई उसके सामने उजागर कर दी।