मडला की मेमसाब

खुशवंत सिंह की संपूर्ण कहानियाँ - Khushwant Singh Short Stories

जॉन डायसन पहाड़ी की चोटी पर पहुँचकर उतरा और चारों तरफ़ घूमकर देखा।

लाल ईंटों वाला रेस्ट हाउस जंगल के बीच कुछ साफ़-सी जगह में बना था।

इसके चारों ओर जहाँ से पहाड़ी ढलान लेती थी ऊँचे पेड़ों की कतार थी, जिनके तनों से शाखाएँ और उनमें से लम्बी-लम्बी बेलें नीचे गिरती चारों तरफ़ फैल रही थीं।

यहाँ से बाहर निकलने का रास्ता एक ही था जहाँ सड़क घाटी का रुख करती थी। यहाँ से मीलों तक घने पेड़-पौधों से भरी घाटी दिखाई देती थी।

सामान पहले ही आ गया था और वरांडे हे में रखा था । नौकरों की कोठरियों के पास कुली उकड़ूँ बैठे चिलम पी रहे थे जो सबके बीच घूम रही थी। ओवरसियर लोहे की कुर्सी पर बैठा इनसे बातें कर रहा था।

नौकरों की कोठरियों में जब हुक्का पार्टी खत्म हुई और ओवरसियर डायसन से मिलने के लिए बढ़ा।

“बगीचा बड़ा खूबसूरत है, डायसन ओवरसियर को देखकर बोला। “इसकी देखभाल कौन करता है ?

“एक बूढ़ा माली है, साहब, यहाँ पचास साल से रह रहा है। जब से यह मकान बना है, तभी से ।

एक हड्डी-हड्डी दिखने वाला आदमी यह सुनकर आगे आया और दोनों हाथ जोड़कर डायसन के सामने खड़ा हो गया । “ग़रीब परवर, मैं ही वो माली हूँ। पन्द्रह साल का था, तभी से यह काम कर रहा हूँ। जीन मेमसाहब मुझे यहाँ लाई थीं और अब मैं साठ साल का हूँ। जीन मेमसाब यहीं गुज़रीं। मैं भी यहीं मरूँगा।'

'जीन मेमसाब ? यह कॉटन की बीवी तो नहीं थी ?” डायसन ने ओवरसियर की तरफ़ मुड़कर पूछा।

"नो सर, उनके बारे में कोई कुछ नहीं जानता । वह समाज-सेविका थीं-या शायद टीचर-या मिशनरी या ऐसी ही कुछ । उन्होंने यह बैगला बनवाया और यहाँ बच्चों का स्कूल खोला । और फिर अचानक उनकी मौत हो गई । कोई उनके बारे में कुछ नहीं जानता। फिर सरकार ने यह इमारत ले ली और इसमें वन विभाग का रेस्ट हाउस बना दिया।'

इस बातचीत में कुलियों की आवाज़ों से बाधा पड़ी जो पालकियों में मिसेज डायसन और उनकी बेटी जेनिफ़र को बिठाकर ऊपर ला रहे थे।

डायसन ने उनकी तरफ़ हाथ हिलाते हुए कहा, “ओल्ड मिशन स्कूल है यह । जगह बुरी नहीं लगती ।

परिवार ने घूम-घूमकर निरीक्षण किया । डूबते सूरज की लालिमा में सारा मकान, आगे-पीछे का मैदान, फूलों की क्यारियाँ, जंगल के पेड़ और उनकी शाखाएँ तथा बेलें जगमगा रही थीं। चारों तरफ़ शान्ति थी। दूर घाटी में बहते झरने की आवाज़ से शान्ति में वृद्धि ही हो रही थी।

कुली और ओवरसियर सूरज डूबने से पहले घाटी में अपने गाँव के लिए उतर गये । डायसन परिवार ने रहने का इन्तज़ाम करना शुरू कर दिया। बैरे हरीकेन की लालटेनें जलाने, डिनर की मेज़ लगाने और पलँगों पर मच्छरदानियाँ खड़ी करने में लग गये ।

मिसेज़ डायसन और जेनिफ़र कमरों में जाकर काम का निरीक्षण करने लगीं । डायसन वरांडे में पड़ी बेंत की आरामकुर्सी पर आराम से लेटकर पाइप जलाने लगा और स्कॉच लाने का हुकुम दिया।

वह धीरे-धीरे डूबते हुए सूरज की बदलती हुई रोशनी देखता रहा जो आग की लाली से, मानसून के बादलों में फैलकर पहले चमकते सुनहरे, फिर ताँबई लाल, गुलाबी, सफ़ेद और अन्त में गहरे भूरे रंग में बदलती गई ।

रोशनी के रात के अँधेरे में लुप्त होते ही जंगल में चारों तरफ़ जैसे एक चीखती स्तब्धता और शान्ति छा गई। चिड़ियाँ अपने घोंसलों में जाकर सोने लगीं और कुछ ही मिनटों में घुप अंधकार छा गया।

अब जंगल में दूसरे क़रिस्म की आवाज़ें, मेंढकों, सियारों और लकड़बग्घों की मिली-जुली पुकारें, सुनाई देने लगीं । डायसन बैठा स्कॉच और सिगरेट पी रहा था और बाहर लॉन से कीट-पतंगे और जुगनू उड़ते हुए उसके पास तक आने लगे।

बैरे ने कहा कि डिनर तैयार है। खाने की मेज़ पर मोमबत्तियाँ जला दी गईं। दीवार पर लगे खूँटे से टैंगी हतीकेन लालटेन की पीली रोशनी समय बीतने और मानसून से जर्जर भूरी प्लास्टर की दीवारों पर पड़ रही थी।

खाने की मेज़ पर ज़्यादा बातचीत नहीं हुई ।

सिर्फ़ बैरे की खाना लाने, परोसने और क्रॉकरी उठाने-रखने की आवाज़ों से कमरे की शान्ति भंग हो रही थी ।

जेनिफ़र इधर-उधर घूमती घर का जायज़ा ले रही थी। तभी बैरा उसे डिनर के लिए आने की सूचना देकर वापस लौट गया । खाना खाते हुए उसने अचानक छुरी-काँटा मेज़ पर रखकर कहा, 'मम्मी, देखो, दीवार पर वह एक तस्वीर है !

मिसेज़ डायसन ने चौंककर उधर नज़र डाली। दीवार पर लगी सफ़ेदी पर ऊपर से गिरने वाले बारिश के पानी से लकीरें पड़ गई थीं जिन पर लैंप से पड़ने वाली झिलमिलाती रोशनी के कारण तरह-तरह के चेहरे बन-बिगड़ रहे थे।

'जेनिफ़र,' मिसेज़ डायसन ने डपटकर कहा, 'मुझे डराना बन्द करो और चुपचाप खाना खाओ ।

इसके बाद सब शान्ति से खाते-पीते रहे । कॉफ़ी आई तो जेनिफ़र सोने चली गई।

मिसेज़ डायसन ने फिर दीवार पर नज़र डाली, अब वहाँ कुछ नहीं था।

'जॉन, मुझे यह जगह पसन्द नहीं है।

तुम धक गई हो। जाकर आराम करो ।'

मिसेज़ डायसन सोने चली गईं। थोड़ी देर बाद उनके पति भी आकर लेट गये और बड़ी जल्दी खरंटि लेने लगे।

मिसेज़ डायसन को नींद नहीं आ रही थी। उन्होंने अपने तकिये मसहरी के बाँस के सहारे रख दिये और उन पर बाँहें टिकाकर बाहर बगीचे की तरफ़ देखने लगीं।

चन्द्रमा नहीं निकला था लेकिन आसमान साफ़ था और ऊपर तारे छिटके हुए थे।

लॉन के पार जंगल था जो घनी काली दीवार की तरह चारों ओर - खड़ा था।

मेंढक और कीड़े-मकोड़ों की आवाज़ें, कभी-कभी किसी पक्षी की चीख, लकड़बग्घों की आवाज़ें और सियारों की घू-घू वातावरण में फैल रही थी । इन्हें सुनकर मिसेज़ डायसन के माथे पर ठंडा पसीना आ जाता।

कई घंटे बाद पीला-सा चाँद आसमान में निकला और जंगल के पार से लॉन में हल्की रोशनी फैलाने लगा। लॉन में लगी घास पर ओस की छोटी-छोटी बूँदें चमकने लगीं।

मिसेज़ डायसन ने स्तब्धता के एहसास को दबाने के लिए बाहर निकलकर घूमने का विचार किया। उनके नंगे पैरों को नीचे उगी घास ठंडी और गीली लग रही थी।

वह आगे बढ़ते हुए अपने पैरों से घास पर पड़ते हुए निशानों को देखती जा रही थीं। उन्होंने अपना सिर झटका, जैसे उस पर रखा हुआ बोझ हटा रही हों और कई बार गहरी साँस ली । इससे उन्हें ताज़गी महसूस हुई । कहीं कुछ गड़बड़ नहीं था और डर की कोई बात नहीं थी।

मिसेज़ डायसन लॉन में आगे-पीछे कई मिनट तक टहलती रहीं । स्वस्थ होकर उन्होंने बिस्तर पर लौटने का विचार किया। वरांडे की तरफ़ बढ़ीं और अचानक रुक गईं। उनके आगे के लॉन पर पैरों के निशान दिखाई दे रहे थे। वहाँ से वे निशान सूखी ज़मीन तक गये थे और जंगल में पहुँचकर लुप्त हो गये थे। मार्गरिट डायसन के पैरों में कमज़ोरी-सी महसूस हुई, बुखार-सा चढ़ता हुआ लगा और वह ज़मीन पर गिर पड़ीं।

जब उनकी चेतना जागी, सवेरा हो रहा था। चारों तरफ़ चिड़ियों ने चहचहाना शुरू कर दिया था। वे धीरे-धीरे घिसट-घिसटकर अपने बिस्तर तक जा पहुँचीं।

जब बैरा चाय लाया, सूरज की रोशनी वरांडे में फैल गई थी। डायसन ने नाश्ता किया और बाहर जाने को निकला । लॉन के दूसरे सिरे पर कुली और ओवरसियर उसका इन्तज़ार कर रहे थे।

शाम को वह सूरज ढलने से पहले लौट आया। उसने हिस्की और सोडा का ऑर्डर दिया, पैर फैलाकर बैठ गया और जूते के फ़ीते खोलने को कहा। दो पैग पेट में जाते ही उसका चेहरा सचेत हो उठा।

“आज डिनर के लिए क्‍या है ? करी चिकन लगता है। मुझे तो भूख लगी है। जंगल की हवा परेशान करती है।

सब लोग शान्ति से डिनर करने लगे, डायसन को खाना अच्छा लग रहा था।

एक सियार लॉन पार करके डायनिंग रूम के दरवाज़े तक आ पहुँचा और वहाँ से उसने गुर्राना शुरू किया ।

मिसेज़ डायसन के काँटे उनके हाथ से गिर पड़े ।

पति कुछ कहते, इससे पहले ही वह बोलीं, 'जॉन, मुझे पसन्द नहीं है यह जगह ।

“तुम बेकार परेशान हो रही हो। आखिर सियार ही है यह। मैं कई सियार यहाँ मारूँगा। वे तुम्हें बिलकुल परेशान नहीं करेंगे। फ़िक्र की कोई ज़रूरत नहीं है। कल रात नींद तो अच्छी आई ?

“हाँ, आई ।

“म्मी, मैंने तुम्हें बाहर टहलते देखा था,” जेनिफ़र ने बीच में ही कहा।

“तुम पुडिंग ख़त्म करो और सोने जाओ, मिसेज़ डायसन ने कहा।

“लेकिन मैंने आपको देखा था, मम्मी-आप सफ़ेद गाउन पहने थीं और आपने

मेरी मसहरी खोलकर मुझे देखा कि मैं सो रही हूँ या नहीं और मैंने आँखें बन्द कर लीं। मैंने देखा था तुम्हें ?”

मिसेज़ डायसन का चेहरा पीला पड़ गया।

जेनिफ़र बेकार बात मत करो और सोने जाओ। और मेरे पास कोई सफ़ेद गाउन नहीं है, यह तुम जानती हो यह कहकर वे उठीं और उनके पति उनके साथ हो लिये।

'तो तुम्हारी नींद पूरी नहीं हुई ?'

मैं तो सो ही नहीं सकी। लेकिन जॉन, मेरे पास न सफ़ेद गाउन है और न मैंने जेनिफ़ण की मसहरी में झाँका ।'

“ठीक है, ये फ़िजूल बातें हैं। तुम पुडिंग खाओ और जाकर सो जाओ। मैं बन्दूक उठाता हूँ और एकाध सियार मारकर लाता हूँ। जेनिफ़र, तुम्हें सियार की फ़र का कोट चाहिये? डायसन ने हँसते हुए पूछा।

“नहीं, मुझे पसन्द नहीं हैं, सियार-वियार

डायसन ने बन्दूक उठाई, उसमें गोलियाँ भरीं और अपने बिस्तर के पास दीवार के सहारे टिका ली। फिर पाइप जलाकर पीने लगा और तब तक बातें करता रहा जब तक सोने का समय न हो गया।

फिर पत्नी से बोला, “अगर सियार की आवाज़ सुनाई दे तो मुझे जगा देना ।'

“ठीक है।'

कुछ ही मिनट में डायसन को नींद आ गई।

जेनिफ़र भी सो गई थी। लेकिन मिसेज़ डायसन मसहरी के भीतर से बाहर आँखें गढ़ाये पेड़ों से बनी दीवार और उसके पार फैले जंगल को देख रही थीं।

बाहर के धुँधलके में सफ़ेद रंग का गाउन पहने एक औरत की छाया उभरी। उसके बाल दो पट्टियों में बँधे थे जो दोनों कन्धों पर गिर रही थीं। उसकी शक्ल तो साफ़ नज़र नहीं आ रही थी, लेकिन उसकी आँखों की चमक मनुष्य जैसी नहीं थी। मिसेज़ डायसन का शरीर ठंडा पड़ गया और वे बहुत डर गई। उन्होंने चीखने की कोशिश की लेकिन मुँह से आवाज़ नहीं निकली । जॉन डायसन खरंटे भरता रहा।

वह प्रेत शरीर वरांडे की तरफ़ आने लगा और उसकी नज़र मिसेज़ डायसन पर थी। जब वह लॉन के बीच में पहुँचा तब एक सियार दौड़ता हुआ आया और उसके सामने दो पैरों पर खड़ा हो गया। उसने अपना सिर उठाया और ज़ोर से चीखने लगा। और भी बहुत से सियार उसके साथ चीखने लगे।

मिसेज़ डायसन के गले की आवाज़ लौट आई और उसने भी चीख मारी।

जॉन डायसन चौंककर उठा और बन्दूक उठाने को लपका । लेकिन वह निशाना साधता तब तक सारे सियार इधर-उधर भाग गये । डायसन ने अपनी सारी गोलियाँ एक ही सियार पर दाग़ दीं, लेकिन वह भी भाग गया।

'सुअर निकल गया,' डायसन भुनभुनाया।

दूसरे दिन डायसन परिवार बहुत परेशान था।

'माफ़ करना, डियर, मैंने कल रात तुम्हें डरा दिया,' पति ने कहा। “आज इन सियारों से निबटना ही है।'

'जॉन तुमने और कुछ नहीं देखा ?'

और क्या ?

'सफ़ेद कपड़ों में एक औरत । जब तुमने बन्दूक चलाई, वह हमारी तरफ़ आ रही थी ।'

“बकवास मत करो। सियार ही था मेरे सामने । तुम अपने ऊपर काबू करना सीखो ।

"लेकिन जॉन, तुम्हें मुझ पर यकीन करना होगा पिछली रात मैंने घास पर उसके पैरों के निशान देखे थे ।

मिसेज़ डायसन यह कहकर रुकीं और फिर खड़ी होकर बोलीं, “आओ, तुम्हें दिखाऊँ।'

वे डायसन को लॉन में ले गईं जो अभी तक ओस से सफ़ेद था और उगते हुए सूरज की रोशनी में चमक रहा था। उस पर पैरों के निशान साफ़ दिखाई दे रहे थे। डायसन उनके पीछे चलता हुआ साफ़ मैदान तक पहुँचा। यहाँ बीच में एक क़ब्र थी-पुरानी टूटी-फूटी कब्र जिस पर न कोई पत्थर था और न कुछ लिखा था। इसके चारों तरफ़ काई जमा हो गई थी और उसके बीच कई जगह कँटीले पौधे उग रहे थे।

डायसन यह देखकर हिल उठा लेकिन उसने अपनी आवाज़ नहीं बदली। “इसके बारे में क्या कहा जाये, समझ में नहीं आता,' धीरे से उसने कहा।

जब ओवरसियर आया तो उसने उसे दफ़्तर आने को कहा और वहाँ पहुँचकर कमरे का दरवाज़ा भीतर से बन्द कर लिया।

'सुंदरलाल, इस मकान के बारे में क्‍या जानते हो ?

ज़्यादा नहीं जानता, सर!” ओवरसियर हकलाने लगा, "यहाँ के गाँवों में बहुत सी कहानियाँ सुनी जाती हैं और अंधविश्वासी लोग उन्हें सच मान लेते हैं। यह घर सालों से खाली पड़ा है और भारत सरकार ने इस पर कब्ज़ा पा लिया, तब भी अफ़सर लोग यहाँ ठहरने से इनकार करते रहे । लेकिन माली यहाँ हमेशा रहा है और खुश भी नज़र आता है।'

'माली को बुलाओ ।

सुंदरलाल माली को ले आया।

'साहब घर के बारे में जानना चाहते हैं। जो भी जानते हो, बता दो ।

“गरीब परवर', माली कहने लगा, 'यह घर जीन मेमसाब ने बनवाया था जो मंडला से आई थीं। उन्होंने यहाँ बच्चों का स्कूल खोला। यह सरकारी ज़मीन थी और कई साल की मुकदमेबाज़ी के बाद सरकार जीत गई और घर पर उसका कब्जा हो गया।'

जीन मेमसाहब का क्‍या हुआ ? डायसन ने प्रश्न किया।

“साहब, इसी मकान में उनकी मौत हो गई। सरकार ने इस पर कब्ज़ा कर लिया तो उन्होंने स्कूल बन्द कर दिया, फिर वो बीमार पड़ गईं। बरसात में वो बाहर घूमा-फिरा करती थीं इसलिए उन्हें मलेरिया हो गया, बार-बार हुआ। उनका मुस्लिम बैरा रियाज़ और मैं ही उनके पास थे। हम साहब लोगों को बताने नीचे मंडला गये लेकिन कोई उन्हें नहीं जानता था। हमने उन्हें जंगल में गाड़ दिया। रियाज़ मंडला चला गया और वहाँ बैरे का काम करता है। मैंने सरकारी नौकरी कर ली ।

“उनकी मौत के बाद इस घर में कितने लोग रहे ?

“कोई भी नहीं, साहब । अफ़सर आते हैं और चले जाते हैं। लोगों ने अफवाहें फैला रखी हैं कि जीन मेमसाब इसे शाप दे गई हैं। लेकिन मैं यहाँ पचास साल से हूँ और मुझे कुछ नहीं हुआ है।

डायसन ने दोनों को छुट्टी दे दी और पत्नी के पास चला गया।

“अभी ओवरसियर और माली से बात की है,' उसने लापरवाही दिखाते हुए घोषणा की। “बहुत-सी फ़िजूल-सी बातें हैं कि यहाँ कोई नहीं रहना चाहता । बस, माली ही पचास साल से रह रहा है। खैर, मैं तो यहीं रहूँगा और भूतनी को ठिकाने लगाऊँगा ...

उस रात डायसन ने फिर बन्दूक में गोलियाँ भरीं और उसे खुला छोड़ दिया। डिनर करके कई कप ब्लैक कॉफ़ी पी। बिस्तर के बगल में हरीकेन लैंप रखवाया और एक अलमारी में वुड़ ब्लैक मैगज़ीन के कुछ पुराने अंक मिले थे, उन पर नज़र डालने लगा। रोशनी और इस जानकारी के कारण कि पति जाग रहे हैं, मिसेज़ डायसन तकिये पर सिर रखते ही गहरी नींद में सो गईं।

डायसन कुछ देर तक पाइप पीता और अखबार पढ़ता रहा । फिर उसने लालटेन की लौ कम की और फिर पाइप पीता रहा।

आज की रात पिछली दोनों रातों से ज़्यादा अँधेरी थी। ऊपर बादल छाये थे जिससे बीरेश होने की आशंका थी। आधी रात बीतने के कुछ समय बाद बिजली चमकी, गड़गड़ाहट हुई और तेज़ बारिश होने लगी-धुआँधार बारिश, जैसी इन प्रदेशों में होती है। हवा में हल्की ठंडक पैदा हुई जो वरांडा पार करके मसहरी तक आने लगी। मिसेज़ डायसन और बेटी जेनिफ़र इस शोर-शराबे में भी आराम से सोते रहे। ठंडी हवा से डायसन को भी झोंके आने लगे। उसका सिर हिलने लगा और वह तकियों पर बैठे-बैठे ही सो गया।

एक सियार वरांडे तक आया और उसने लम्बी चीख मारी ।

डायसन चौंककर जाग गया।

तभी लैंप की लौ हिली और बुझ गई। मसहरी के भीतर से डायसन ने देखा कि एक मानवी छाया चारपाई के पास खड़ी है।

उसकी दो चमकती आँखें. उसे घूरकर देख रही हैं। तभी फिर बिजली चमकी और उसने देखा-सफ़ेद गाउन में एक औरत जिसके बालों की दो पश्टियाँ कन्धों पर फैली हैं।

बिजली चमकने के बाद जो कड़क पैदा हुई, उससे वह हरकत में आ गया। डर से भरी एक चीख मारकर वह बन्दूक उठाने के लिए लपका और मसहरी से बाहर निकल आया। आँखें उसे घूरे जा रही थीं।

उसने बन्दूक का पुट्ठा थामा और पागलों की तरह ट्रिगर दबाने लगा। दो गोलियाँ निकलीं और उनकी आवाज़ आई।

डायसन वहीं पर गिर पड़ा और बन्दूक का मुँह उसके चेहरे की तरफ़ धा।