जंगल का राजा शेर बूढ़ा हो चूका था। कमजोर हो जाने के कारण वह शिकार तक नहीं कर पाता था।
उसने लोमड़ी को बुलवाया और उससे कहा, मैं तुम्हें अपना मंत्री बनाता हूँ। तुम जंगल के मामलों में मुझे सलाह दिया करो और प्रतिदिन मेरे लिए एक जानवर भी खाने के लिए लाया करो।
लोमड़ी बाहर चली गई। रस्ते में उसे एक गधा मिला। वह गधे से बोली, तुम बहुत भाग्यशाली हो। अपने राजा ने तुम्हें प्रधानमंत्री बनाने का निश्चय किया है।
गधा बोला, मुझे तो शेर से दर लगता है। वह मुझे मार डालेगा और खा जाएगा। और वैसे भी मैं मंत्री बनने योग्य नहीं हूँ।
चालाक लोमड़ी हंसने लगी और बोली अरे तुम्हें अपने गुणों का पता नहीं है। तुम्हारे अंदर बहुत सारे अच्छे-अच्छे गन हैं। हमारा राजा तुमसे मिलने के लिए बेचैन है।
उसने तुम्हें इसलिए चुना है क्योंकि तुम बुद्धिमान, विनम्र और परिश्रमी हो।
अब मेरे साथ चलो और राजा से मिल लो। वह तुमसे मिलकर बहुत प्रसन्न होगा।
गधा लोमड़ी की बातों में आज्ञा और लोमड़ी के साथ चलने को तैयार हो गया।
जैसे ही वे लोग गुफा में घुसे, शेर गधे पर झपट पड़ा और उसे तुरंत मार डाला। शेर ने छलक लोमड़ी को धन्यवाद दिया और प्रसन्न्तापूर्वक खाना खाने को तैयार हो गया।
जैसे ही शेर भोजन करने को हुआ, वैसे ही लोमड़ी बोल पड़ी, महाराज मैं जानती हूँ कि आप बहुत भूखे हैं और आपके भोजन का समय भी हो चूका है, लेकिन राजा को तो नहा-धोकर भोजन करना चाहिए। शेर को यह बात पसंद आई। वह बोला, तुम सही कहती हो। मैं अभी जाकर नहाके आता हूँ। तुम मेरे भोजन पर निगाह रखना।
लोमड़ी चुपचाप बैठी शेर के भोजन को देखने लगी। उसे भी बहुत भूख लगी थी। उसने अपने आप से कहा, सारी मेहनत तो मैंने की है। माँस के सबसे अच्छे हिस्से पर तो मेरा ही हक़ बनता है। ऐसा सोचकर उसने गधे का सर खोल डाला और उसका दिमाग खा गई।
जब शेर लौटा तो उसकी निगाह गधे पर पड़ी। उसे लगा की गधे का कुछ हिस्सा कम है। उसने ध्यान से देखा तो उसे समझ में आ गया कि गधे का सिर खुला हुआ है।
उसने लोमड़ी से पूछा, यहाँ कौन आया था ? इस गधे के सिर को क्या हो गया ?
लोमड़ी एक दम से भोली बन गई।
उसने बातें बनाते हुए शेर से कहा, महाराज जब आपने गधे को मारा था, तो उसके सिर पर आपने जोर से पंजा मारा था। इसी से उसका सिर खुल गया था। शेर उसके जवाब से संतुष्ट हो गया और भोजन करने बैठ गया।
अचानक, वह फिर चिल्ला पड़ा, अरे इस गधे का दिमाग कहाँ गया ? मैं तो सबसे पहले इसका दिमाग ही खाना चाहता हूँ।
लोमड़ी मुस्कराते हुए बोली, महाराज गधों के पास दिमाग होता ही नहीं है। अगर इसके पास दिमाग होता तो वह आपका शिकार बनने के लिए आता ही नहीं।