एक पेड़ पर बहुत सारी चिड़ियाँ रहती थी।
एक दिन उसी पेड़ पर एक खोह में रहने के एक अंधा गिद्ध आ गया।
सभी चिड़ियों ने उसका स्वागत किया।
गिद्ध बूढ़ा भी था, इसलिए सभी पक्षियों ने तय किया वे अपने-अपने भोजन में से उसे भी दे दिया करेंगे।
बदले अंधे गिद्ध ने तय किया कि वह उन सब पक्षियों के बच्चों की देखभाल किया करेगा एक दिन, एक बिल्ली उसी पेड़ के पास से गुजरी।
खुशी से चहचहाते हुए नन्हें चूजों की आवाज़ बिल्ली को सुनाई दी।
जब चूजों की नजर बिल्ली पर पड़ी तो वे डर के मारे चिल्लाने लगे!
अंधा गिद्ध तुरंत ज़ोर से चिल्लाया, “कौन है ?”
चालाक बिल्ली समझ गई कि पक्षियों के इन नन्हें-नन्हें बच्चों को वह तभी खा पाएगी, जब वह गिद्ध से दोस्ती कर ले।
बिल्ली गिद्ध से बोली, “मैंने नदी किनारे आने वाले सभी पक्षियों से आपकी बुद्धिमानी की बहुत प्रशंसा सुनी है।
आपकी प्रशंसा सुनकर ही मैं आपसे मिलने आई हूँ, भैया।
” अपनी प्रशंसा सुनकर गिद्ध बहुत प्रसन्न हुआ।
उसने पूछा, “अच्छा! वैसे तुम हो कौन ?” बिल्ली बोली, “मैं बिल्ली हूँ।” गिद्ध यह सुनकर ज़ोर से चिल्लाया, “यहाँ से तुरंत भाग जाओ, वरना मैं तुम्हें खा जाऊँगा।
” हालाँकि चालाक बिल्ली ने एक और चाल सोची।
"मैं नदी के पार रहती हूँ। मैं माँस भी नहीं खाती।
मैं आपको हर दिन नदी में स्नान कराने ले जाया करूँगी,” वह बोली। “और वैसे मुझे नहीं लगता कि आप इतने समझदार होकर भी अपने एक मेहमान को खाओगे।
" बूढ़े गिद्ध ने जवाब दिया, “मैं तुम्हारा भरोसा कैसे करूँ, तुम तो पक्षियों को खा जाती हो!
“अरे नही, भैया!” बिल्ली बोली। “जो दूसरों को मारते हैं,उनको तो भगवान दंड देता है।
जब जंगल में इतने स्वादिष्ट फल-फूल मौजूद हैं तो मैं अपना पेट भरने के लिए किसी को क्यों मारूँगी ?
" गिद्ध उसकी बातों में आ गया और उसने पेड़ की खोह में उसे अपने साथ रहने की अनुमति दे दी।
अब, बिल्ली हर दिन एक चूजे को खा जाती और अंधे गिद्ध को पता तक नहीं चलता।
जल्दी ही पक्षियों को महसूस हुआ कि उनके कुछ बच्चे कम हो रहे हैं! उन्होंने अपने बच्चों की तलाश करना शुरू कर
दिया। जैसे ही विल्ली को यह बात पता चली, वह पेड़ से निकलकर जंगल में भाग गई।अब बड़े पक्षी बूढ़े गिद्ध के पास अपने बच्चों के बारे में पूछने आए।
गिद्ध सो रहा था। पक्षियों ने उसकी खोह में इधर-उधर देखा, तो वो हैरान रह गए! वहाँ पर हड्डियों का ढेर लगा था!
बिल्ली पक्षियों के बच्चों को खा जाती थी, और उनकी हड्डियाँ गिद्ध की खोह में छोड़ देती थी।
उनके सभी पक्षी गिद्ध के ऊपर बहुत गुस्सा हुए।
उन्हें लगा कि गिद्ध ने साथ विश्वासघात किया है और उन्हें मूर्ख बनाया है।
उन्हें लगा कि गिद्ध ने ही उनके बच्चों को खा लिया है!
वे जोर-जोर से रोने-चिल्लाने लगे और सबने मिलकर सोते हुए गिद्ध पर हमला कर दिया।
बेचारे गिद्ध को समझ ही नहीं आया कि ये पक्षी क्यों
उस पर टूट पड़े हैं और क्यों इतनी बेरहमी से उसे नोच रहे हैं।अंत में, सबने उसे बाहर निकाल दिया।
अब उसके पास न कोई घर था और न कोई साथी।