एक व्यापारी नमक से भरी बोरियाँ पड़ोस के शहर ले जाया करता था।
वह बोरियाँ गधे की पीठ पर लादकर ले जाता था।
एक दिन एक तालाब पार करते समय गधे का पैर फिसल गया।
व्यापारी ने उसे उठाया। गधे को एकाएक काफी आराम मिला। उसकी पीठ पर लदा ज़्यादातर नमक पानी में घुल चुका था और उसका बोझा काफी कम हो गया था।
वह बहुत प्रसन्न हुआ।
अब, गधा प्रतिदिन जान-बूझकर तालाब में फिसल जाता।
कुछ दिनों में व्यापारी गधे की चालाकी समझ गया।
उसने गधे को सबक सिखाने का निश्चय किया।अगले दिन, व्यापारी ने गधे पर नमक की जगह रुई के गट्ठर लाद दिए।
जब गधा पानी में गिरा तो रुई भीगकर बहुत भारी हो गई!
गधे से अब बोझ के मारे उठना मुश्किल हो रहा था! “हाँ! अब तुम मेरे साथ कभी चालाकी नहीं करोगे,”
व्यापारी हँसा और अपने गधे को हाँकते हुए आगे चल पड़ा।