एक जंगल में एक शिकारी ने एक मोटे-तगड़े सुअर पर नुकीले तीर से निशाना लगाया।
सुअर ने घायल होने के बावजूद, शिकारी पर पलटकर हमला किया और उसे मार डाला।
इसके बाद सुअर भी अपने शरीर के घाव की वजह से मर गया।
कुछ देर बाद, एक भूखा सियार वहाँ आ पहुँचा।
उसे शिकारी और सुअर के रूप में दो-दो शिकार पड़े मिले।
वह स्वयं से कहने लगा, “आज ईश्वर ने मेरे ऊपर बड़ी कृपा की है।
चलो, पहले, इस धनुष की डोरी से ही खाने की शुरुआत की जाए।
सियार शिकारी
की लाश के पास गया और धनुष की डोरी को कुतरने लगा।जैसे ही धनुष की डोरी टूटी, वैसे ही उसमें लगा तीर पूरे ज़ोर से निकल पड़ा और सीधे सियार के शरीर में घुस गया और वह वहीं पर मर गया।
उसे खाना शुरू करने से पहले सोचना चाहिए था।
ऐसा न करके, वह लालच में आकर बिना सोचे-समझे टूट पड़ा और अपनी जान गँवा बैठा।