एक तालाब में तीन मछलियाँ रहती थीं।
वे आपस में सहेलियाँ थीं।
एक दिन कुछ मछुआरे उस तालाब के पास से निकले और कहने लगे, “यह तालाब तो मछलियों से भरा पड़ा है।
कल सुबह आकर यहीं पर मछलियाँ पकड़ेंगे।
मछुआरों की बातें सुनकर उन तीन मछलियों में से सबसे बुद्धिमान मछली बोली, "हमें आज रात ही इस तालाब को छोड़ देना चाहिए।"
दूसरी मछली भी सहमत हो गई, लेकिन तीसरी मछली ज़ोर से हँसते हुए बोली, “हम यह तालाब क्यों छोड़ें ?
यह तो हमारे बहुत पुराना घर है।
हमारे पूर्वज भी यहीं रहते आए हैं।
रही बात जान बचाने की तो वो तो हम दूसरी जगह जाकर भी नहीं बचा सकते।"
दोनों मछलियों ने उसे समझाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मानी।
दोनों मछलियाँ उसे छोड़कर चली गईं।
अगले दिन, मछुआरों ने बहुत सारी मछलियाँ पकड़ीं। वह तीसरी मछली भी पकड़ी गई।