एक गौरैया ने एक बड़े पेड़ पर सुंदर-सा घोंसला बनाया। एक दिन,
बहुत तेज बारिश हुई। एक बंदर पूरी तरह से भीगा हुआ आया।
वह ठंड से काँप रहा था।
बारिश से बचने के लिए वह पेड़ के नीचे आकर बैठ गया।
बंदर को परेशानी में देखकर गौरैया को बहुत दुख हुआ।
उसने बंदर से कहा, “तुम तो बहुत योग्य जानवर दिखते हो।
तुम अपने लिए अच्छा-सा घर क्यों नहीं बना लेते ताकि तुम बारिश और सर्दी से बच सको ?"
गौरैया की सलाह सुनकर बंदर को गुस्सा आ गया।
वह बोला, “चुपचाप बैठ और अपना काम कर।"
बंदर ने अपने आपसे कहा, “अब अगर गौरैया ने अपना उपदेश देना बंद नहीं किया तो मैं उसे अच्छा सबक सिखा दूंगा।"
बंदर ने उस गौरैया से कहा, “तुम्हें इतना भी पता नहीं कि किसी को बिना माँगे सलाह नहीं देनी चाहिए।"
बंदर की बात का गौरैया पर कोई असर नहीं पड़ा।
वह लगातार उससे मकान बनाने की सलाह देती रही।
अंत में गुस्से में आकर बंदर पेड़ पर चढ़ गया और उसने गौरैया का घोंसला नोंचकर फेंक दिया।