लालची सारस और चतुर केकड़ा

Lalachi Saras Aur Chatur Kekda | सारस और केकड़ा की कहानी

एक बूढ़ा सारस था।

बूढ़ा हो जाने के कारण वह शिकार तक सही ढंग से नहीं कर पाता था।

उसने एक योजना बनाई।

वह झील के किनारे खड़ा हो गया और बोला, "ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की है कि अब बारह वर्ष तक कोई बारिश नहीं होगी।

" यह सुनकर सभी घबरा गए और सारस के पास आकर सहायता का अनुरोध करने लगे। सारस बोला, “पास में ही एक बड़ी झील है।

मैं तुम लोगों को एक-एक करके उस झील तक छोड़ आऊँगा।

" सभी लोगों को उसकी बात सही लगी।

अब हर दिन, सारस एक-एक करके सभी जानवरों को एकांत में ले जाता और उन्हें खा जाता।

अब केकड़े की बारी आई।

जब सारस अपने उसी गुप्त स्थान के पास पहुंचा तो केकड़े की निगाह मछलियों की हड्डियों के ढेर पर पड़ी।

उसने सारस से पूछा, “मुझे तो यहाँ कोई झील नहीं दिख रही। बताओ, कहाँ है झील ?"

“कोई झील नहीं है यहाँ।

मैं तुम्हें खाने जा रहा हूँ,” सारस ने जवाब दिया।

बहादुर केकड़े ने सारस की गर्दन दबोच ली और उसे मरोड़कर मार डाला।

दुष्ट सारस को अपनी करनी का दंड मिल गया।