एक बार एक मगरमच्छ एक दलदल में फंस गया।
उसने एक ब्राह्मण से अनुरोध किया कि वह उसने निकालकर गंगा नदी में छोड़ दे।
ब्राह्मण ने उस मगरमच्छ को निकालकर एक बोरे में भर लिया।
जब वह उसे गंगा नदी में छोड़ने ही वाला था कि मगरमच्छ ने उसे अपने विशाल जबड़े में दबोच लिया।
ब्राह्मण चिल्लाया, “तुम मेरे अहसान का बदला मुझे खाकर चुकाना चाहते हो!"
“क्यों! तुम्हें खाऊँगा नहीं तो मेरा पेट कैसे भरेगा ?" मगरमच्छ ने जवाब दिया।
"क्यों न हम किसी से फैसला करवा लें ?" ब्राह्मण ने कहा। मगरमच्छ मान गया।
ब्राह्मण ने वहीं से गुजर रही एक लोमड़ी को रोककर उससे अनुरोध किया कि वह उन दोनों का झगड़ा सुलझा दे। लोमड़ी बोली कि पहले दिखाओ कि तुम मगरमच्छ को बोरी में भरकर लाए कैसे थे।
अब तीनों वापस उसी दलदल के पास आ गए।
ब्राह्मण ने मगरमच्छ को फिर से दलदल में डाल दिया।ब्राह्मण और लोमड़ी मगरमच्छ को उसी में फंसा छोड़कर भाग निकले।